शिवराज ने समझाई असली धर्म नीति, पढ़ाया लोकनिति का पाठ

शिवराज की धर्मनीति भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सांची बौद्घ एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा ‘धर्म और राज व्यवस्था’ पर आयोजित तीन दिवसीय चौथे ‘धर्म-धम्म’ सम्मेलन में शिवराज की धर्मनीति सामने आई। सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए बुधवार को यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जिसमें सबका सुख और सबका कल्याण हो, वही लोक नीति है।

शिवराज की धर्मनीति

लोक नीति ऐसी होना चाहिए जो इन लक्ष्यों को पूरा कर सके। चौहान ने आगे कहा कि दूसरों की भलाई से बड़ा कोई धर्म नहीं है और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने से बड़ा कोई पाप नहीं है। विश्व में धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा खून बहाया गया है, लेकिन जिसके नाम पर खून बहाया गया, वह धर्म नहीं, बल्कि उपासना पद्घति है।

उन्होंने कहा कि धर्म के कई स्वरूप हैं। सत्य, अहिंसा धर्म हैं। स्नेह, प्रेम, शांति और आत्मीयता धर्म है। दूसरों को जो आनंद दे वही धर्म है। सुख तात्कालिक होते हैं और आनंद स्थायी होता है। प्रदेश सरकार ने राज्य के नागरिकों के जीवन में आनंद लाने के लिए एक आनंद विभाग बनाया है।

मुख्यमंत्री ने स्वामी विवेकानंद के उपदेश को दोहराते हुए कहा कि सत्य एक है, लेकिन वहां तक पहुंचने के रास्ते अलग-अलग हैं। भारत में हजारों वर्ष पहले कहा गया कि सारा विश्व एक परिवार है।

‘धर्म-धम्म’ सम्मेलन में देश-विदेश के लगभग 200 विद्वान भाग ले रहे हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री ने भरेासा दिलाया कि धम्म सम्मेलन में आए अलग-अलग क्षेत्र के विद्वानों के बीच चर्चाओं से निकले निष्कर्ष को प्रदेश में लागू करने के प्रयास किए जाएंगे।

शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता श्रीलंका महाबोधि सोसायटी के प्रमुख बेनेगेला उपाथिसा नायका थेरो ने की। कार्यक्रम में संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के मंत्री सुरेंद्र पटवा, सांची बौद्घ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय़ एस़ शास्त्री, इंडियन काउंसिल ऑफ फिलॉसफिकल रिसर्च के अध्यक्ष एस़ आऱ भट्ट और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राजेश गुप्ता उपस्थित थे।

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