शिल्पोत्सव में दिख रहीं राज्य की कलाएं

पटना।  बिहार की राजधानी पटना के उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान प्रांगण इन दिनों शिल्पकारों से गुलजार है। शिल्पकार इस परिसर में जहां अपनी कला को जीवंत करने में लगे हैं, वहीं प्रतिदिन कलाप्रेमी भी सैकड़ों की संख्या में पहुंचकर शिल्पकारों के हुनर की तारीफ कर रहे हैं।

राजधानी में 10 दिनों तक चलने वाले इस शिल्पोत्सव में शिल्पकार अपने हुनर को ना केवल निखार रहे हैं, बल्कि कई इलाकों से आए महान शिल्पकारों से उन्हें सीखने का भी मौका मिल रहा है। मेले में मौजूद स्टॉलों पर कई तरह के हुनर वाले शिल्पकारों के कला के नमूने भी लोगों को देखने को मिल रहे हैं।

शिल्पकारों से गुलजार

18 अक्टूबर से प्रारंभ यह शिल्पोत्सव और अखिल भारतीय हस्तशिल्प कार्यशाला 27 अक्टबूर तक चलेगा।

उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के उप विकास पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा कहते हैं, “इस कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त हस्तशिल्प कलाकारों से सीखने-समझने का मौका अन्य कलाकारों को मिल रहा है। इससे कला का आदान-प्रदान भी होगा। शिल्पोत्सव में 10 राष्ट्रीय और 20 राज्यस्तरीय कालाकार भाग ले रहे हैं। इसके अलावे 500 से ज्यादा प्रतिभागी कलाकार भी यहां पहुंचे हैं। इनमें से 20 प्रतिभागियों का चयन राज्यस्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित किया जाएगा।”

इस शिल्पोत्सव में बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग तैयार होते लोग अपनी आंखों से देख पा रहे हैं। वहीं सीकी कला, टेराकोटा और मूर्तिकला को भी लोग समझ रहे हैं।

शिल्पोत्सव में आए समस्तीपुर निवासी रामचंद्र राम की बांस की कलाकृतियां कलाप्रेमियों को न केवल आकर्षित कर रही हैं, बल्कि लोग उनकी कलाकृतियों की जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने हाल ही में बांस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का चेहरा बनाया है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं।

इधर, शिल्पोत्सव के स्टॉल नंबर 14 पर नाजदा खातून की सीकी कला की काफी प्रशंसा हो रही है। इस शिल्पोत्सव में सीकी कला के कई कलाकार अपना हुनर प्रदर्शन कर रहे हैं।

नाजदा द्वारा सीकी से बनाया गया पांच फुट लंबे पेड़ की आकृति और उस पर सीकी से ही बनाई गई चिड़िया और फल व फूल लोगों का आकर्षित कर रहा है। नाजदा आईएएनएस से कहती हैं कि नदी किनारे उगने वाली लंबी घास को सीक का रूप दिया जाता है और फिर उसे सुखाया जाता है। उसके बाद उसे रंग कर दोबारा सुखने दिया जाता है। इसके बाद सीकी तैयार होती है।

हस्तशिल्प के स्टॉलों पर ना केवल महिलाओं की, बल्कि पुरुषों और बच्चों की भी भीड़ उमड़ रही है। सीतामढ़ी से आई राज्यस्तरीय सिक्की कला की विजेता कृष्णा देवी, सुनीता प्रकाश और सुजनी कला को संजो रही निर्मला देवी की कला शिल्पोत्सव में चार चांद लगा रही है।

हैंडलूम से सजे स्टॉल, जूट और नारियल से बनी सामग्री, अंडे के छिलके से बने पटना की पहचान गोलघर जैसे अनोखे नमूने इस शिल्पोत्सव में देखने को मिल रहे हैं। लग रहा है, जैसे पूरे बिहार की कला और शिल्पकारों की दुनिया इस छोटे स्थान में बस गई है।

पटना महिला कॉलेज से महोत्सव को देखने आई संध्या कहती हैं कि बिहार की कई कलाएं ऐसी हैं, जिनके बारे में तो वह सुन चुकी थीं, लेकिन आज नजदीक से देखने और उसे समझने का अवसर मिला।

उद्योग विभाग के निदेशक पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि उद्योग विभाग द्वारा आयोजित इस शिल्पोत्सव में दस विशेष मंडप बनाए गए हैं, जिसमें विभिन्न कलाओं में महारत हासिल 10 कलाकार कलाओं को जीवंत कर रहे हैं। इसके अलावा परिसर में 60 अन्य स्टॉल लगाए गए हैं, जिसमें लोग खरीदारी कर रहे हैं।

इधर, कलाकारों का कहना है कि ऐसे महोत्सव का आयोजन स्वागतयोग्य है। ऐसे आयोजनों से ना केवल शिल्पकारों को बाजार उपलब्ध हो जाता है, बल्कि उन्हें अपने हुनर को दिखाने का मौका भी मिलता है।

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