शर्मसार ! चोरी के शक पर भीड़ ने तबरेज़ से लगवाए ‘जय श्री राम’ के नारे , फिर जिन्दा मार डाला…

जिस 22 साल के लड़के की ये ख़बर है, उसका नाम था तबरेज़ अंसारी. उसके साथ वारदात हुई 18 जून, 2019 को. अब उसके मरने की ख़बर आई है. तबरेज़ के साथ वारदात हुई झारखंड के सरायकेला खरसावां ज़िले में. इस घटना का वीडियो वायरल हुआ.

तरबेज

 

बतादें की  वारदात के बाद से ही तबरेज़ चोरी के मामले में न्यायिक हिरासत में था. 22 जून की सुबह, यानी मारपीट के चौथे रोज़ उसने कहा कि उसे तबीयत ठीक नहीं लग रही.

नेशनल हाईवे पर तुन्नूहट्टी के नजदीक केरू पहाड़ से गिरी कार

जहां उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया. फिर वहां से जमशेदपुर के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में रेफर किया गया. वहां डॉक्टरों ने देखा तो बोले, ये तो मर चुका है.डॉक्टर का कहना हैं की हार्ट अटैक या कोई ब्लॉकेज़ हो सकती है तबरेज़ की मौत का कारण. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से चीजें ज्यादा स्पष्ट हो सकेंगी.

तबरेज़ के परिवार का कहना है कि चार घंटे तक भीड़ के हाथों पिटने की वजह से उसकी मौत हुई है. तबरेज़ के रिश्तेदार मक़सूद आलम ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया-

कुछ स्थानीय लोगों ने तबरेज़ को पीटा और फिर उसे पुलिस के हवाले कर दिया. लोगों को उसके ऊपर चोरी का शक था. मगर असल में ये सांप्रदायिक घटना थी. उसे मारा-पीटा गया क्योंकि वो मुसलमान था. भीड़ ने उससे बार-बार ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ का नारा लगवाया. हमें अस्पताल में तबरेज़ से मिलने नहीं दिया गया. हमारे पास घटना का विडियो है. मैं दोषियों की गिरफ़्तारी की मांग कर रहा हूं.

तबरेज़ के रिश्तेदार उस पुलिसकर्मी के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जो घटना के समय ड्यूटी पर था. पुलिस का कहना है कि इस मामले में FIR दर्ज़ कर ली गई है.

क्या भीड़ ने जब मार-पीटकर तबरेज़ को पुलिस के हवाले किया, तब उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया था? क्या उसकी चोट दिखवाई गई थी? क्या पीटने वालों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई की? क्या किसी पर चोरी का शक़ हो, तो उसे पीटा जा सकता है? अगर सच में ‘जय श्री राम’ का नारा लगवाया गया, तो क्या ये बस चोरी की वजह से था? क्या राम और हनुमान का नाम लिवाने की भीड़ की ज़िद सांप्रदायिक नहीं थी?

दरअसल सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या तबरेज़ का मामला (अगर मार-पीट की वजह से मौत की पुष्टि होती है) मॉब लिंचिंग का नहीं था? क्या मॉब के हाथों लिंच हुआ माने जाने के लिए तत्काल वहीं मरना पड़ता है? बाद में मरने पर भीड़ दोषी नहीं होती?

लेकिन एक वीडियो है, जिसे लाखों लोगों ने देख लिया. उसमें पीटने वालों के चेहरे दिख रहे हैं. क्यों उसके आधार पर तबरेज़ को पीटने वालों की गिरफ़्तारी नहीं हुई? बाकी ‘जय श्री राम’ वाली बात पर तो राम में आस्था रखने वालों को सोचना चाहिए. ईश्वर का क्या हाल कर दिया है लोगों ने? हिंसा करने वाले राम को कवच बनाकर घूम रहे हैं? ईश्वर की इससे ज्यादा दुर्गति और क्या होगी?

 

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