वो पूरी दुनिया का इकलौता क्रिकेटर जिसकी तस्वीर छपी है नोटों पर, जानें कौन है वो …

एक क्रिकेटर की जिंदगी मैदान तक ही सीमित नहीं रहती है, वो देश और समाज में भी बहुत कुछ कर सकता है. इसकी एक मिसाल मिलती है वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान फ्रैंक वॉरेल की जिंदगी में.

51 टेस्ट मैचों में वेस्टइंडीज की टीम की अगुवाई करने वाले वॉरेल की मौत महज 42 साल की उम्र में हो गई, मगर वो अपने पीछे वो लीगेसी छोड़ गए जिसने विंडीज टीम को बहुत आगे जाने का रास्ता दे दिया.

वॉरेल विंडीज क्रिकेट में पहले अश्वेत कप्तान बने. 1960 से पहले तक यहां गौरों की ही चलती थी. अश्वेत लोगों को इस काबिल नहीं समझा जाता था कि वो कहीं अगुवाई कर सकते हैं.

वहां की कुछ अखबारों ने ये कैंपेन चलाए कि वॉरेल को ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए कप्तानी दी जाए. आखिरकार 1960-61 में वॉरेल को कप्तान बनाया गया और इस महान क्रिकेटर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. विरोधी टीमों से लेकर अपने देश के खिलाड़ियों ने फ्रैंक वॉरेल के खेल और कप्तानी की खूब तारीफ की.

फ्रैंक वॉरेल को लेकर एक किस्सा इंडिया से भी जुड़ा हुआ है. जब 1962 में टीम इंडिया वेस्टइंडीज के दौरे पर थी तो भारतीय कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर बैटिंग करते हुए चार्ली ग्रिफित की बाउंसर पर भयानक रूप से घायल हो गए थे.

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इतने घायल की उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया और वहां उनका ऑपरेशन हुआ. फ्रैंक वॉरेल ने हॉस्पिटल पहुंच कर ब्लड डोनेट किया.

तब से कोलकाता के ईडन गार्डन्स में उस दिन को फ्रैंक वॉरेल डे के रूप में मनाया जाता है और उस दिन खूब सारे ब्लड डोनेशन कैंप भी लगाए जाते हैं.

अभी क्रिकेट छोड़ी भी नहीं थी कि फ्रैंक वॉरेल को जमैका में सीनेटर चुना गया. वो दो साल तक सीनेटर रहे. वो वेस्टइंडीज क्रिकेट को एकजुट रखने वाले इंसान के रूप में जाने गए.

अनेकों द्वीपों को एकजुट कर वेस्टइंडीज टीम बनाने में वॉरेल का अहम रोल रहा है. इस कप्तान के इसी रोल को देखते हुए बारबेडोस ने अपने डाक टिकट और करेंसी नोट पर सर फ्रैंक वॉरेल की फोटो छापी.

वहां के 5 डॉलर के नोट पर इनकी तस्वीर छपी. अब इनके नाम से ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच ट्रॉफी भी खेली जाती है.

 

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