वैज्ञानिकों का नया दावा… ऐसे मिट गया डायनासोर का पृथ्वी से नामोनिशान

न्यूयॉर्क। करोड़ों वर्ष पूर्व क्षुद्र ग्रह के पृथ्वी से टकराने पर दुनियाभर में ज्वालामुखी मैग्मा भड़कने के कारण धरती से डायनासोर विलुप्त हो गए होंगे। एक नए शोध में वैज्ञानिकों ने इस नई धारणा के पक्ष में साक्ष्य मिलने का दावा किया है।

मालदीव में राजनीतिक संकट से डगमगा जाएगी भारत की अर्थव्यवस्था!

डायनासोर विलुप्त

वैज्ञानिकों के मुताबिक, छह मील चौड़ा एक क्षुद्र ग्रह करीब 6.6 करोड़ वर्ष पूर्व मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप से टकराया था, जिससे धरती और समुद्र दोनों में भीषण भूकंप आया था।

‘साइंस एडवांसेस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि भूकंप के प्रभाव से पानी के नीचे भी ज्वालामुखी से उग्र रूप से मैग्मा निकला होगा, जिससे पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा होगा।

शांति बहाली समयसीमा पर ट्रंप का इनकार, कहा- मामला नहीं हल करना चाहते इजरायली और फिलिस्तीनी

मिनेसोटा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जोसेफ बायर्न्‍स ने कहा, “हमें पूर्व में सामूहिक विलुप्ति की घटना के दौरान अज्ञात समयावधि के दौरान दुनिया में शक्तिशाली ज्वालामुखी स्फोट के साक्ष्य मिले हैं।”

1980 के दशक में जब आज के मेक्स्किो में चिक्जुलुब के पास उल्कापात का सबूत मिला था, तब से वैज्ञानिकों के बीच यह भी विवाद बना हुआ है कि क्या क्षुद्र ग्रह के टकराने या किसी ज्वालामुखी स्फोट के कारण भारत के दक्कन क्षेत्र में सब कुछ समाप्त हो गया था, जिसके कारण गैर-पक्षी समूह के जीव डायनासोर मर गए।

ओरेगन विश्वविद्यालय के प्रोफेर लीफ कार्लस्ट्रोम के मुताबिक, विविध अध्ययनों से इस बात के संकेत मिलते हैं कि दक्कन क्षेत्र में कई ज्वालामुखी उल्कापात होने के पहले से ही जाग्रत थे। इस प्रकार उल्कापात होने से धरती पर भूकंप संबंधी तरंगों में तेजी आई और विस्फोट की रफ्तार तीव्र हो गई।

कार्लस्ट्रोम ने कहा, “हमारे शोध कार्य में संपूर्ण धरती पर हुई इन दुर्लभ व विनाशकारी घटनाओं के बीच संबंध है। उल्कापात के प्रभाव से ज्वालामुखी स्फोट हुए होंगे, जो पहले से ही जारी थे और इनका दोतरफा असर पड़ा होगा।”

देखें वीडियो :-

LIVE TV