सीबीआई के सामने फेल हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह

वीरभद्र सिंह  नई दिल्ली| हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से आय से अधिक संपत्ति के मामले में गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पूछताछ की। इस दौरान वह अपने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों के बचाव में सबूतों का विवरण पेश करने में नाकाम रहे। अधिकारियों ने बताया कि उनसे शुक्रवार को दूसरे दौर की पूछताछ की जाएगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व हिमाचल के मुख्यमंत्री 81 वर्षीय वीरभद्र सिंह गुरुवार सुबह 11 बजे सीबीआई मुख्यालय में करीब पांच घंटे तक पूछताछ हुई। आय के ज्ञात स्रोत से छह करोड़ 30 हजार रुपये से अधिक की संपत्ति से जुड़े विभिन्न साक्ष्यों से उनका सामना कराया गया।

वीरभद्र सिंह की संपत्तियों के बारे में सवाल किए

एक अधिकारी ने बताया कि वीरभद्र सिंह से उनकी विभिन्न संपत्तियों के बारे में सवाल किए गए। जब उनके सामने सबूत पेश किए गए तो उसका उनके पास कोई स्पष्टीकरण नहीं था। अधिकारी ने कहा कि सीबीआई के पास सिंह के खिलाफ पुख्ता सबूत है। हालांकि उस अधिकारी ने सिंह की जब्त संपत्तियों के खिलाफ सबूतों को साझा करने से इनकार किया।

अधिकारी ने कहा, “सीबीआई के पास वीरभद्र के खिलाफ अपने बच्चों और पत्नी के नाम पर उन संपत्तियों की खरीद की आपराधिक साजिश में जुड़े होने के पक्के सबूत हैं।” सीबीआई ने मुख्यमंत्री को शुक्रवार को पूछताछ के लिए फिर पेश होने को कहा है। अधिकारी ने दावा किया कि पूछताछ के दौरान पत्नी और बच्चों के नाम से खरीदी गई संपत्ति के बारे में बताने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री सिंह पर ही डाल दी गई। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि सीबीआई की प्रारंभिक जांच में वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य ने अपनी संपत्तियों के बारे में कहा था कि उसकी कुछ संपत्तियां पिता के दिए पैसे से खरीदी गई हैं।

इस मामले को पिछले साल 23 सितंबर को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, एलआईसी एजेंट आनंद चौहान और उसके सहयोगी चुन्नी लाख के खिलाफ दर्ज किया गया था। वीरभद्र बुधवार को दिल्ली पहुंचे थे। हिमाचल के मुख्यमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ जांच उनके केंद्रीय इस्पात मंत्री (2009-2011) रहते हुए उन पर लगे आय से अधिक संपत्ति के आरोपों के संदर्भ में हो रही है।

सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, “यह एफआईआर प्राथमिक जांच का परिणाम है, जिसमें यह सामने आया है कि वीरभद्र ने केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में 2009 से 2012 के दौरान अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर 6.03 करोड़ रुपये की संपत्ति जमा की थी। इस संपत्ति को उनकी आय से अधिक पाया गया।” दिल्ली उच्च न्यायालय ने पांच अप्रैल को वीरभद्र से सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दायर मामले में पूछताछ में शामिल न होने का कारण पूछा था।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के तहत वीरभद्र किसी भी प्रकार की पूछताछ और गिरफ्तारी से बचे हुए हैं। सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय से हिमाचल उच्च न्यायालय के इस आदेश को रद्द करने का आग्रह किया हुआ है। उच्च न्यायालय में वीरभद्र सिंह ने याचिका दायर कर सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज करने की मांग की है जिसकी सुनवाई की जा रही थी।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी.एस. पटवालिया ने अदालत को बताया था कि इस मामले में गंभीर रूप से रुकावट पैदा हो गई है। उन्होंने कहा था कि सीबीआई ने इस पर एक दस्तावेज पूर्ण रूप से तैयार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘जो तथ्य इस दस्तावेज से निकलकर सामने आए हैं, वे बेहद-बेहद गंभीर हैं।’ सिंह को हिमाचल उच्च न्यायालय ने पहले ही एक अक्टूबर 2015 को इस मामले से गिरफ्तारी से सुरक्षा दे दे रखी थी। सीबीआई को उन्हें गिरफ्तार करने, उनसे पूछताछ करने और उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर करने से रोक दिया गया।

सीबीआई ने हिमाचल प्रदेश की अदालत के आदेश को निरस्त कराने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय से निर्देश मांगा है और दलील दी कि मामले की जांच प्रभावित हो रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल नबंवर में सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले को हिमाचल उच्च न्यायालय से दिल्ली उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया था और कहा था कि यह ‘संस्थान को शर्मिदगी से बचाने’ और ‘आगे किसी विवाद से बचने के लिए’ किया जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने हालांकि हिमाचल उच्च न्यायालय के आदेश में कोई बदलाव नहीं किया जिसने सीबीआई को इस मामले से सिंह को गिरफ्तार करने से रोक दिया था। वीरभद्र इस मामले को हिमाचल उच्च न्यायालय में तब ले गए थे जब पिछले साल 26 सितंबर को सीबीआई ने उनके दिल्ली और शिमला स्थित घरों की तलाशी की थी और उन पर आय से अधिक छह करोड़ रुपये की संपत्ति का मामला दर्ज किया था।

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