संसद को भ्रमित न करें वीके सिंह

मुंबई| पाकिस्तान-इंडिया पीपुल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी (पीआईपीएफपीडी) ने शनिवार को केंद्रीय मंत्री वीके सिंह से दोनों देशों की जेलों में बंद कैदियों के मुद्दे पर संसद को भ्रमित नहीं करने का आग्रह किया। पीआईपीएफपीडी ने वीके सिंह  द्वारा दोनों देशों के बीच मई 2008 में हुए द्विपक्षीय समझौते पर संसद में उनके बयानों पर आपत्ति दर्ज की।

वीके सिंह

वीके सिंह ने दी थी जानकारी

वी.के.सिंह ने कैदियों पर भारत-पाकिस्तान संयुक्त न्यायिक समिति (आईपीजेजेसीपी) की प्रत्येक छह महीने में हो रही बैठक, स्थितियों में सुधार के लिए जेल दौरे, कैदियों के इलाज और उनकी रिहाई के बारे में जानकारी दी थी। पीआईपीएफपीडी के महासचिव जतिन देसाई ने शनिवार को बताया, “तथ्य यह है कि आईपीजेजेसीपी की बैठक पिछले दो से अधिक वर्षो से हुई ही नहीं। हमारी मांग है कि इस समिति को अधिक सक्रिय होना चाहिए।

देसाई ने कहा, “हम भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की सरकारों से कहना चाहते हैं कि इस समिति के कार्यो को दोनों देशों की सरकारों के सहयोग की जरूरत है और इस संबंध में तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा कि आईपीजेजेसीपी का गठन 2008 में हुआ था और दोनों देशों की जेलों में रह रहे कैदियों के मानवाधिकारों को सुनिश्चित करना इसका कार्य है।

गौरतलब है कि पांच मई को अलग-अलग देशों में गिरफ्तार किए गए भारतीय मछुआरों के मुद्दे को राज्यसभा में उठाया गया था। संसद में बताया गया था कि चार देशों में भारत के 272 मछुआरे बंद है।

इसमें पाकिस्तान में 220, श्रीलंका में 34, बांग्लादेश में 10 और ईरान में आठ मछुआरों को गिरफ्तार किया गया है।

देसाई ने कहा कि पीआईपीएफपीडी ने मार्च में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को दोनों देशों की जेलों में कैद और मर चुके मछुआरों के शवों को सौंपे जाने में हो रही देरी को लेकर पत्र लिखा था।

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