विहिप मॉडल vs रामालय न्यास मॉडल की छिड़ी जंग, राम मंदिर निर्माण को लेकर साधु संतों में मतभेद 

REPORT– SYYED RAZA/PRAYAGRAJ

अयोध्या मे राम मन्दिर निर्माण का मार्ग भले ही सुप्रीम कोर्ट से साफ़ हो चुका है। लेकिन साधू संतो मे मन्दिर निर्माण को लेकर दो फाड़ देखने को मिल रहा है। एक तरफ विश्व हिन्दू परिषद ने जहां अपने प्रस्तावित राम मन्दिर मॉडल को लेकर संतो के बीच सम्मेलन कर चुका है.

तो वहीँ दूसरी तरफ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज के शिविर में भी  धर्म संसद का आयोजन किया गया। जिसमें आन्कोरवाट क़ी तर्ज पर भव्य राम मन्दिर का मॉडल पेश किया गया। जिसके बाद माना जा रहा है क़ी संतो के बीच मन्दिर निर्माण को लेकर होड़ मच गई है।

विहिप

बता दें क़ी प्रयागराज में लगने वाले माघ मेला या कुम्भ के दौरान हमेशा से मन्दिर निर्माण आंदोलन सुर्खियों मे रहा है। यहां हर वर्ष माघ मेले औऱ कुम्भ में राम मन्दिर निर्माण के लिए संतो का सम्मेलन भी विहिप द्वारा होता रहा है। इस बार के माघ मेले से पहले ही मन्दिर को लेकर कोर्ट का फ़ैसला आ चुका है। ऐसे में मन्दिर निर्माण का रास्ता जब कोर्ट द्वारा साफ हो चुका है तब संगम नगरी प्रयागराज में साधू संतो के बीच टकराहट देखने को मिल रहा है।

20 औऱ 21 जनवरी को विहिप के माघ मेला शिविर में संतो का सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें मन्दिर निर्माण को लेकर संतो क़ी राय सुमारी क़ी गई। सभी ने जल्द से जल्द मन्दिर निर्माण कराए जाने क़ी बात कही। लेकिन विहिप के संत सम्मेलन में राम मन्दिर मॉडल का मुद्दा बेहद अहम औऱ चर्चा में भी रहा। विहिप से जुड़े संत विहिप द्वारा ज़ारी किए गए राम मन्दिर के मॉडल क़ी तर्ज पर ही आयोध्या में मन्दिर बनाए जाने क़ी वकालत क़ी।

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विहिप से जुड़े लोगों क़ी माने तो राम मन्दिर निर्माण आंदोलन शुरू से ही वीएचपी के मुख्य केन्द्र बिन्दुओं में रहा है। 1984 से ही विहिप मन्दिर निर्माण के लिए गांव गांव इसी प्रस्तावित मॉडल को लेकर जनजागरण अभियान औऱ रथ यात्राएं निकाल चुका है। उस दौरान यह लोग आज मॉडल पेश कर रहें हैं कही नहीं दिखे। विहिप के वरिष्ठ पदाधिकारियों क़ी माने तो दुसरे मॉडल को पेश करने का सिर्फ़ एक ही उद्देश्य है चंदा वसूलना। इससे पहले भी बहुत से लोगों ने मन्दिर के नाम पर चंदा वसूले हैं औऱ अब फ़िर से एक बार वही काम किया जा रहा है। लेकिन अब मन्दिर का निर्माण शीघ्र हो यही हम सब चाहतें हैं। औऱ संत समाज़ भी यही चाहता है।

माना जा रहा है क़ी आयोध्या में राम मन्दिर का निर्माण कोर्ट द्वारा भले ही साफ़ हो चुका हो लेकिन साधू संतो के श्रेय औऱ ट्रस्ट में शामिल होने को लेकर होड़ मची हुई है।

 

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