चुनाव तक घरों में दुबके रहेंगे ‘असलहाधारी’

विधानसभा चुनाव का बिगुलबांदा| उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद निर्वाचन आयोग के निर्देश पर दस्यु प्रभावित क्षेत्र बांदा और चित्रकूट जिले के लाइसेंसी हथियारों को जमा कराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जमा किए गए हथियार चुनाव संपन्न होने के बाद ही लाइसेंस धारकों को वापस मिलेंगे, तब तक अपराधियों के भय से ‘असलहाधारी’ अपने घरों में दुबके रहेंगे।

विधानसभा चुनाव का बिगुल

बुंदेलखंड के बांदा और चित्रकूट जिले पिछले कई दशक से दस्यु प्रभावित रहे हैं और यहां डकैतों के फरमान पर सांसद और विधायक चुने जाने की परंपरा जैसी बन गई थी। पाठा के जंगल में समानांतर सरकार चला चुके मृत डकैत ददुआ के इशारे पर कई राजनीतिक दल अपना टिकट वितरण तक शुरू कर दिया था। हालांकि खूंखार डकैतों- ददुआ, ठोकिया, रागिया और बलखड़िया के सफाए के बाद अब मिनी चंबल के पाठा जंगल में पांच लाख रुपये के इनामी डकैत बबली कोल के अलावा पचास हजार के इनामी डकैतों गोप्पा यादव और गौरी यादव का आतंक अब भी कायम है।

ये डकैत चित्रकूट जिले की सदर कर्वी और मानिकपुर सीट में दखल देने की कूबत रखते हैं। एक दशक पूर्व तक बांदा जिले की नरैनी व बबेरू और चित्रकूट की कर्वी सदर और मानिकपुर सीट से दस्यु ददुआ की मर्जी से ही विधायक चुने जाते रहे हैं। साल 2007 के विधानसभा चुनाव में तो दस्यु ठोकिया ने अपनी मां पियरिया को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के टिकट पर बांदा जिले की नरैनी सीट से चुनाव भी लड़ा चुका है, वह बीएसपी के पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी से महज चार हजार मतों से हारी थी।

बुंदेलखंड के सभी सात जिलें की 19 सीटों पर चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी को होना है। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर प्रशासन ने सभी लाइसेंसी हथियार थानों या शस्त्र दुकानदारों के यहां जमा करने का हुक्म जारी किया है। लेकिन अवैध हथियार जमा कराने या जब्त करने की तरकीब प्रशासन के पास नहीं है। ऐसे में अपराधियों के भय से असलहाधारियों के पास चुनाव होने तक अपने घरों में दुबके रहने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है।

बांदा और चित्रकूट में दस हजार से ज्यादा लाइसेंसी हथियार हैं, इसके विपरीत हजारों की तादाद में गैर लाइसेंसी हथियार अपराधी और अराजक तत्वों के पास मौजूद हैं, जिन्हें जमा कराने की कूबत पुलिस या प्रशासन के पास नहीं है। हर चुनाव की तरह इस बार भी जैसे-जैसे लाइसेंसी हथियार जमा हो रहे हैं, आपराधिक गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं।

इसका एक पहलू यह भी है कि अराजक तत्व मतदाताओं को डराने-धमकाने या मतदान में दखल देने का काम लाइसेंसी असलहों से नहीं, बल्कि गैर लाइसेंसी हथियारों के बलबूते ही करते आए हैं। बांदा जिले के मसुरी गांव के पूर्व प्रधान और महुआ ब्लॉक की ब्लॉक प्रमुख शशि यादव के पति राजा यादव का कहना है कि ‘गांव में एक दबंग परिवार से उनकी पैतृक दुश्मनी है, लाइसेंसी बंदूक जमा करने पर जान का खतरा है। प्रशासन बंदूकें जमा कराने के बाद सुरक्षा के इंतजाम नहीं करता।’

चित्रकूटधाम परिक्षेत्र (बांदा) के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) ज्ञानेश्वर तिवारी का कहना है कि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर लाइसेंसी हथियार जमा कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है। जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को गैर लाइसेंसी हथियार बरामद करने और अराजक तत्वों की गिरफ्तारी के आदेश भी दिए गए हैं, ताकि शांतिपूर्वक निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराए जा सकें।

कानून विशेषज्ञ रणवीर सिंह चौहान एड़ का कहना है, “लाइसेंसी असलहाधारी चुनाव में विघ्न नहीं डालते, बल्कि गैर लाइसेंसी हथियारों के बलबूते दखल दिया जाता रहा है।” वह कहते हैं कि आर्म्स एक्ट में भी चुनाव दरम्यान लाइसेंसी असलहा जमा करने का प्रावधान नहीं है, लाइसेंसी हथियार जमा कराने को उच्च न्यायालय भी अवैध घोषित कर चुका है।

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