अंतरिम बजट में छूट की सीमा बढ़ने के आसार, सरकार बदली तो भी पड़ेगा असर

1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली अंतरिम बजट पेश करने जा रहे हैं। इस बजट में मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए सरकार टैक्स से जुड़ी रियायतें दे सकती है। सैलरीड और पेंशनर्स के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। साथ ही टैक्स छूट पाने के लिए निवेश का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है।

Bajat

सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन का बिल इसी हफ्ते संसद में पास हुआ। इसमें 8 लाख तक सालाना आय वालों को गरीब मानकर आर्थिक आधार वाले आरक्षण का पात्र माना गया है। कांग्रेस का कहना है कि अगर आठ लाख तक की आय वाले लोग गरीब हैं तो उनसे आयकर क्यों लिया जा रहा है।

प्रेरक प्रसंग-हाथी और रस्सी की कहानी

चार्टर्ड अकाउंटेंट विवेक जैन का कहना है कि भले ही सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी, लेकिन चुनाव नजदीक होने की वजह से टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाने की घोषणा की जा सकती है। अगर सरकार बदल भी जाएगी तो टैक्स छूट की सीमा पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि कोई भी सरकार टैक्स छूट का दायरा घटाने का फैसला नहीं लेगी। पहले भी ड्यूटीज घटाने के फैसले अंतरिम बजट में लिए जा चुके हैं। बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट आरके गौतम भी बताते हैं कि सरकार अंतरिम बजट में आयकर से जुड़ी घोषणाएं कर सकती है।

मौजूदा टैक्स स्लैब

सालाना आय टैक्स दर
2.5 लाख रुपए शून्य
2.5 लाख से 5 लाख रुपए 5%
5 लाख से 10 लाख रुपए 20%
10 लाख रुपए से ज्यादा 30%

उद्योग संगठन सीआईआई ने भी आयकर छूट की सीमा मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने की मांग की है। साथ ही बचत को प्रोत्साहन देने के लिए धारा 80सी के तहत डिडक्शन की सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपए करने की अपील की है। अभी यह सीमा 1.5 लाख रुपए है। सीआईआई ने वित्त मंत्रालय को सौंपी बजट पूर्व सिफारिशों में ये सुझाव दिए।

सालाना आय टैक्स दर
5 लाख रुपए शून्य
5 से 10 लाख रुपए 10%
10 से 20 लाख रुपए 20%
20 लाख रुपए से ज्यादा 25%

आम चुनाव के साल में सरकार अंतरिम बजट पेश करती है। यह बजट कुछ महीनों के सरकारी कामकाज चलाने के लिए होता है। नई सरकार बनने के बाद जो बजट पेश किया जाता है, वह बाकी वित्त वर्ष के लिए होता है।

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