चमत्कारों से भरे इन मंदिरों के आगे विज्ञान भी होता है नतमस्तक

विज्ञानधर्म की दुनिया में चमत्‍कार होना कोई नई बात नहीं। कभी कभी ये चमत्‍कार कुछ ऐसे हो जाते हैं कि यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। आस्‍था और विश्‍वास से भरी इस दुनिया में कई बार अंधविश्‍वास अपनी जगह बना लेता है। भगवान के नाम पर अंधविश्‍वास फैलाने वाली बातों को विज्ञान ने बहुत बार खारिज किया है।

धर्म की दुनिया में चमत्‍कार पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं। भले ही आप उस चमत्‍कार के साक्षी हों न हों, उसका जिक्र आपको मिल ही जाता है।

ऐसे भी चमत्‍कार होते हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं होता है। जैसे ज्‍वाला देवी मंदिर में स्‍वयं प्रज्‍जवलित लौ का जलना हो। अमरनाथ मंदिर में बर्फ से शिवलिंग का बनना हो या निधिवन में रोज रात कृष्‍ण भगवान की रासलीला की बात हो। ये सब तो अब आम बात हो गई है।

ऐसी एक घटना 22 साल पहले 21 सितंबर 1995 को हुई। ये किसी चमत्‍कार से कम नहीं था कि उस दिन गणेश भगवान सबके सामने दूध पी रहे थे। सिर्फ तब ही नहीं उसके कुछ साल बाद फिर ऐसा ही कुछ हुआ जब मंदिर ही नहीं घर में भी भगवान को लोग दूध पिला रहे थे।

उस घटना के अगले दिन सभी अखबारों ने इस खबर को छापा था। ऐसी कोई घटना हो और विज्ञान मौन ऐसा नहीं हो सकता उस बार विशेषज्ञों ने इसे मास हाइपनोसिस थ्योरी नाम दिया। जिसे ‘साइको-मैकेनिक रिएक्शन’ नाम से भी जानते हैं। इस बात को तो फिर भी काफी समय हो चुका आप में से कुछ इसके साक्षी होंगे कुछ नहीं।

आज हम आपको एक और चमत्कार से रूबरू कराने आए है जिससके आप आज भी साक्षी हो सकते हैं। ये बात है मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन में स्थित काल भैरव मंदिर की जहां भगवान रोज मदिरापान करते हैं। हजार साल पुराने इस मंदिर में एक अनोखे प्रसाद की टोकरी है, जिसमें धूपबत्‍ती, फूल के साथ देसी दारू भगवान को चढ़ाई जाती है। देखते ही देखते भगवान को भोग लगाया हुआ मदिरा का प्‍याला खाली हो जाता है।

इस मंदिर के बाहर बिना रोक-टोक के देसी दारू बिकती है। और लोग उसे खरीद कर भगवान को भोग लगाते हैं।

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