वाह रे!! भदोही पुलिस मरे को मारकर कर दी बेशर्मी की हद पार, आखिर इतना बेरहम क्यों?

download (2) शव को ठिकाने लगाने की जल्दबाजी और झूठ की बुनियाद पर अंत्येष्टि की कहानी कि असल सच्चाई क्या है ?
मऊ। युवा सोच युवा जोश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी आज आपके भदोही जनपद के यूपी पुलिस के कुछ सिपाहियों की एक मृत युवा के साथ की गयी कारगुजारी पर थू-थू करने को मन कर रहा है। आपके शासन काल में यूपी पुलिस इतना भी बेशर्म और बेरहम हो जायेगी कभी सोचा न था।
पता नही यह वाक्या आप तलक पंहुचा या अभी भी आपसे दूर है लेकिन इतना तो कहना ही है कि जिन्दा को मुर्दा बनाती पुलिस के किस्से तो बहुत सूनने को मिले लेकिन मुर्दे के साथ जिन्दा पुलिस की घटिया और निन्दनिय कृत्य पहली बार यूपी पुलिस की बदलते युग में देखने को मिला। जब शासन युवा सीएम का है और बात युवाओं की होती हो।
मुख्यमंत्री जी आपकी पुलिस के कुछ दागदार जवानों के कथनी और करनी को शब्दों में अभिव्यक्त करने में हमें कोई गुरेज नहीं। हम नहीं कहते कि पुरा पुलिस का अमला ही गलत है लेकिन आपकी भदोही पुलिस ने जो किया वह माफी के लायक नहीं है।
आपको बताते चले कि मंगलवार की रात भदोही जनपद के गोपीगंज में एक अज्ञात युवक के शव मिलने की खबर सबसे पहले सोशल मीडिया के माध्यम से चर्चा में बुद्धवार को आती है। मृत युवक के शर्ट पर मऊ जनपद के कोपागंज के एक टेलर्स का नाम प्रकाश में आता है। इस खबर के फोटो की शिनाख्त रात को ही मऊ जनपद के कोपागंज थाना क्षेत्र के सहरोज निवासी सिन्टू राय के रूप में हो जाती है। इसकी सूचना परिजनों को सहित क्षेत्र के लोगों को मिलने से सनसनी फैल गयी। अचानक हुई इस घटना से मृतक के परिजन सहित पूरे गांव के लोग स्तब्ध रह गये। जब सिन्टू की हत्या को लेकर लोग मामले की तहं में जाते हैं तो पता चलता है कि मंगलवार को नगर क्षेत्र में ट्रेवेल एजेन्सी चलाने वाले एक व्यक्ति को कुछ लोगो ने फोनकर विंध्याचल धाम जाने के लिए स्कार्पियों गाड़ी की मांग किया। जिसके बाद ट्रेवल एजेण्ट ने कोपागंज थाना क्षेत्र के विरेन्द्र नाथ त्रिपाठी को फोन कर उनकी गाड़ी को भेजने की बात कही। विरेन्द्र के ड्राइवर ने थके होने के कारण गांव के ही सिन्टू राय पुत्र कमला राय को विन्ध्याचल जाने को कहा। जिसके बाद सिन्टू नगर क्षेत्र से फोन करने वाले लोगों को लेकर विंध्याचल के लिए निकला। उसके बाद वाराणसी पार करने के बाद उसका लोकेशन मिलना बंद हो गया। मंगलवार की देर रात गोपीगंज में एक अज्ञात युवक की लाश मिली। लोगों ने सोशल मीडिया पर उसकी फोटो डाला और युवक के कालर पर कोपागंज के टेलर का नाम लिखा होना बताया। कोपागंज क्षेत्र के लोगो ने बुधवार की रात में उक्त युवक को पहचान कर उसके परिजनो को सूचना दिया। सूचना पाकर सिन्टू राय के परिजन गोपीगंज पहुंचे, जहां पुलिस ने उक्त युवक के शव का पोस्टमार्टम कराकर उसका अन्तिम संस्कार कर दिये जाने की बात कही तथा उसके परिजनों को अस्थियां भी सौंप दी।
पुलिस की इस कारगुजारी पर परिजन बेटे का अंतिम दर्शन न कर पाने के सपने व हाथ में उसकी अस्थियां लेकर लाचार व बेबस होकर मऊ को लौट पड़े। अभी परिजन वाराणसी भी नहीं पहुंचे थे कि तभी उन्हें किन्हीं माध्यमों से एक शव गंगा में बहते हुए कि सूचना मिली। बाद में परिजनों को पता चलता है कि वह शव सिन्टू राय का ही गंगा में बहते हुए मिला है। यहां उन परिजनों की लाचारी देखिए कि एक हाथ में बतौर पुलिस के हाथों पुख्ता सबूत के साथ सौंपा गया सिन्टू राय की अस्थि कलश है तो दूसरी ओर फिर एक शव की सूचना पर परिजन जहां थे वहीं से वापस गंगा की उस ओर लौट गये और पंहुच कर देखते हैं कि वह शव उनके अपने खून व अपने सिन्टू का है। जरा उस दृश्य का कल्पना मात्र करिये कि सिन्टू के परिजनों व रिश्तेदारों पर उस क्षण क्या बीत रही होगी जब एक हाथ में बेटे की ही चिता के नाम पर कानून के सिपाहियों द्वारा सौंपा गया अस्थिकलश और कुछ देर बाद ही वह हत्या कर फेंका गया शव जिसकी पोस्टमार्टम कर लाश को गंगा में फेंक दिया गया और किसी और की चिता की राख परिजन को सौंप दिया गया।
वाह रे पुलिस तुम्हारा चेहरा इतना बेशर्म बेरहम हो सकता है सोचा न था।
परिजन शव को अपने कब्जे में लेकर गाजीपुर आये और उसका वहीं अन्तिम संस्कार कर दिया।
अब इस पूरे प्रकरण में गोपीगंज पुलिस की भूमिका काफी संदिग्ध ही नहीं घिनौना लगती है। आखिर एक युवक की हत्या कर फेंके गये शव को पुलिस ने लावारिश मानकर इतनी जल्दबाजी क्यों कि जबकी पुलिस को प्रथम सुराग उसके शर्ट पर ही मिल चुके थे।
उस दर्जी से पुलिस ने सम्पर्क करने की जहमत क्यों न उठायी,
पोस्टमार्टम के बाद परिजन के आने का इन्तेजार क्यों नही किया या शव के फोटो को सार्वजनिक स्थानों पर चश्पा करने व अखबार में प्रकाशित कराने की जहमत क्यों न उठायी।
हर बात को अगर खारिज भी कर दें तो पुलिस इस बात का क्या जबाब देगी कि पुलिस परिजनों को पंहुचने पर उनसे यह झूठ क्यों बोली की शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया और जो अस्थिकलश सौंपी आखिर वह किसकी थी या अस्थिकलश में किसी और की अस्थियां थी या सिर्फ यह घिनौना मजाक।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आपके भदोही पुलिस का यह चेहरा वास्तव में जितना घिनौना है कि क्या कहे। मामले में दो पुलिसकर्मियों को संस्पेन्ड कर देने का समचार प्रकाश में आया है पर सवाल अभी और हैं? जिस पुलिस को सिन्टू के हत्यारों व स्कार्फियो जीप तक पंहुचनें में तत्परता दिखानी चाहिए वास्तव में वे शव को ठिकाने लगाने और झूठ की बुनियाद पर अंत्येष्टि की कहानी बुनी उसका असल सत्य क्या है यह आपकी उस क्षेत्र की जनता जानना चाहती हैं जिन गांवों की पगडण्डी और सड़को पर जल्द ही आपकी साइकिल यात्रा शुरू होनी है। तो प्लीज अखिलेश जी यह घटना दर्दनाक है इसे मानवीयता के साथ पर्दाफास कराइये यह मामला एक बड़ा मुद्दा होगा जो आपकी छवि को धूमिल कर सकता है।

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