वास्तु का संतान सुख से है गहरा जुड़ाव, जानें इसे दूर करने के उपाय

वास्तु शास्त्र की संतान के जन्म में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर शादी के कुछ वर्ष हो गए हैं और चाह कर भी संतान सुख नहीं मिल पा रहा है तो इसके लिए शारीरिक चिकित्सा के साथ साथ अगर घर का वास्तु भी नियमानुसार कराया जाये तो सन्तान प्राप्ति में सहायक होता है।

वास्तु का संतान सुख से है गहरा जुड़ाव, जानें इसे दूर करने के उपाय

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की अलग-अलग दिशाओं से प्राप्त उर्जा क्षेत्रों से निर्धारित होते हैं। अगर घर के उर्जा क्षेत्र प्रकृति की उर्जा क्षेत्र के सामजंस्य में होते हैं तो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है पर अगर कुछ उर्जा क्षेत्र प्राकृतिक उर्जा क्षेत्र के विरोध में होते हैं तो जीवन के उस क्षेत्र में अवरोध उत्पन्न होते हैं जिनके वो कारक हैं। ये उर्जा क्षेत्र मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित करते हैं जैसे की धन की स्थिति, स्वास्थय, आपसी सम्बन्ध, व्यवसाय, संतान आदि। यहाँ पर हम वास्तु के उन सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे जो संतान प्राप्ति में सहायक हैं।

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ईशान कोण

घर के ईशान कोण यानि उत्तर- पूर्व दिशा में कोई भी वास्तु दोष जैसे भारी निर्माण, ईशान कोण का कटा होना या ऊँचा होना, सीढियाँ, टॉलेट आदि का होना संतान सुख होने में रुकावट डालता है। ईशान कोण के पूरी तरह से अवरुध होने पर संतान प्राप्ति में बड़ी बाधा आती है। अतः ईशान कोण में कोई भी वास्तु दोष है तो सर्वप्रथम उस दोष का उपाय योग्य वास्तुकार से परामर्श करके अवश्य करें।

मुख्य द्वार

घर के मुख्य द्वार की स्थिति का संतान प्राप्ति पर बहुत गहरा प्रभाव है। घर का मुख्य द्वार, पश्चिम के पुष्पदंत पद ( पद संख्या 20) या उत्तर दिशा में मुख्य पद (पद संख्या 27) या उत्तर में ही सोम/कुबेर पद (पद संख्या 29) में खोले जाने पर पुत्र संतान होने की सम्भवना प्रबल रूप से बढ़ जाती है। घर का मुख्य द्वार अगर पूर्व दिशा के पर्जन्य पद (पद संख्या 2) में खुलता हो तो कन्यायें जन्म लेती हैं। अगर बताई गई दिशा में द्वार बनाने के लिए जगह उपलब्ध नहीं है तो योग्य वास्तुकार के निरीक्षण में उपरोक्त दिशाओं में वर्चुअल द्वार बनाया जा सकता है।

ज्योतिष

शास्त्रों में हरिवंश पुराण एवं गोपाल संतान नामक स्त्रोत का पाठ संतान प्राप्ति के लिए फलदायी बताया गया है । बाल कृष्णा की आराधना भी संतान प्राप्ति के लिए फलदायी है। इसके अलावा बृहस्पति ग्रह संतान का नैसर्गिक कारक है। बृहस्पति को बल दें।

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अन्य वास्तु उपाय

– हाथी फर्टिलिटी का कारक है। जो भी दंपत्ति संतान प्राप्ति के इच्छुक हैं उन्हें हाथी का चित्र अपने बेडरूम में लगाना चाहिए।
– कमरे में फल इत्यादि रखें मुख्यतः अनार और जौ की फ़र्टिलिटी का कारक है।
– पत्नी को पति की बायीं दिशा में सोना चाहिए।
– ध्यान रहे पति-पत्नी का बिस्तार छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए।
– नवदंपत्ति जो नया परिवार शुरू करना चाहते हैं उनके लिए वायव्या (NW)कमरा आदर्श स्थान है। पर गर्भाधन के बाद दम्पत्ति को दक्षिण / दक्षिण-पश्चिम भाग के शयन कक्ष में चला जाना चाहिए ताकी गर्भ सुरक्षित रहें।

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