वादों के मुताबिक नहीं सुधरे राजधानी के कब्रिस्तान और श्मशान !

रिपोर्ट – आशीष सिंह

लखनऊ : 2017 के चुनाव में कब्रिस्तान और श्मशान पर वोट मांगे गए तो सुधार की उम्मीद भी जगी लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी हकीकत में ऐसा कुछ नहीं हुआ | चुनाव दौर बीता तो वादे भी धूमिल पड़ गए |

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गुल्लाला श्मशान घाट की बदहाली अपनी दुर्दशा बता रही है | टूटे शवदाह के प्लेटफार्म और गंदे घाट सभी दावों की पोल खोल रहे हैं | मामले पर नगर आयुक्त डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी ने कहा कि शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है |

गोमती नदी किनारे बनाये गए गुल्लाला श्मशान घाट में बदहाली का बोलबला है | यहां पर ना तो शव स्नान कराने का प्रबंध है और ना ही घाट को व्यवस्थित किया गया है | जिससे लोगों को कीचड़ और जलकुंभी के बीच से पानी लाना होता है |

कई बार पैर फिसल जाने के कारण लोगों को चोटें भी लग चुकी हैं | कई जगहों पर श्मशान भूमि की दीवार भी टूट चुकी है | इससे होकर आवारा जानवर यहां प्रवेश कर जाते हैं |

 

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इससे दाह संस्कार के लिए आए लोगों को प्रक्रिया पूरा करने में परेशानी होती है | यहां सड़क किनारे कूड़ा के जमावड़े से लेकर नालियों का पानी बिखरा रहता है | जिससे हमेशा बदबू आती रहती है |

पूरे परिसर में कटीली झाड़ियां व जंगली घास उग आई हैं | दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी होने में दो से तीन घंटे या इससे अधिक समय लग जाता है | इस दौरान अंतिम यात्रा में साथ आए लोगों को प्रक्रिया पूरी होने तक वहीं खड़े रहना पड़ता है |

गर्मी का मौसम चल रहा है ऐसे में तमाम तरह से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है | शम श्मशान शान घाट परिसर में पेयजल की गम्भीर समस्या है | अधिकतर पानी टंकी या तो खराब हैं या टूट चुकी हैं | इतना ही नहीं परिसर के हैंडपंप से पानी भी नही आता है |

 

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