अब व्यापारियों के कालेधन पर नजर, 24 नंवबर तय की आखिरी तारीख

लखनऊ। कालाधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीधे प्रहार के बाद अब उत्‍तर प्रदेश सरकार भी ऐक्‍शन में आ गई है। एक ओर जहां रिजर्व बैंक ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है कि ढाई लाख से ज्‍यादा जमा करने पर ब्‍यौरा देना पड़ेगा। वहीं अब उत्‍तर प्रदेश का वाणिज्‍यकर विभाग भी टैक्‍स चोरी करने वाले व्‍यापारियों को बक्‍शने के मूड में नहीं दिख रहा है।

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वाणिज्य कर आयुक्त मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा है कि उत्‍तर प्रदेश के व्‍यापारी 24 नवंबर तक अपना सेलटैक्‍स जमा कर सकते हैं। नये टिन के लिए आवेदन भी पुराने नोटों के माध्‍यम से कर सकते हैं। हम सभी पुराने नोट स्‍वीकार कर रहे हैं।

उन्‍होंने बताया कि लखनऊ में लगभग 74 हजार 748 व्यापारियों ने टैक्‍स जमा नहीं किया है। रसीद जेनरेट न कराने, रिटर्न दाखिल न करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने के भी संकेत मेश्राम ने दिए है। जानकारी के मुताबिक लखनऊ में लगभग 46778 व्यापारियों ने मार्च 2015 के बाद रसीद नहीं जेनरेट कराई है।

उन्होंने बताया कि जीएसटी व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए रजिस्टर्ड व्यापारियों को पैन अपडेट कराना अनिवार्य है। बहुत से व्यापारियों ने अभी तक पैन अपडेट नहीं कराया है। ऐसे व्यापारियों का टिन निरस्तीकरण 20 नवंबर तक कर दिया जाएगा।

मेश्राम ने प्रदेश के सभी जोनों के अपर आयुक्त से लेकर कर निर्धारण अधिकारियों तक से कहा है कि जीएसटी व्यवस्था पहली अप्रैल से प्रस्तावित है। इसके सुचारू संचालन के लिए पैन अपडेशन का काम जरूरी है।

जीएसटी की व्यवस्था में जाने के पहले यह जरूरी है कि ऐसे रजिस्टर्ड व्यापारी जो रिटर्न नहीं दाखिल कर रहे, उनकी पहचान कर निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाए। ऐसा करने से जीएसटी व्यवस्था में उन्हीं व्यापारियों का डाटाबेस माइग्रेट कराया जा सकेगा जो वास्तव में व्यापार कर रहे हैं।

रजिस्टर्ड व्यापारियों का डाटाबेस अध्ययन करने पर एनआइसी ने अवगत कराया है कि प्रदेश में 46,778 व्यापारी ऐसे हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन 31 मार्च 2015 के पहले का है किंतु उन्होंने आज तक कोई रसीद नहीं जेनरेट कराई गई है। एनआईसी ने यह भी बताया है कि उस रजिस्ट्रेशन तारीख के पहले के 74,748 व्यापारी ऐसे हैं जिन्होंने पहली अप्रैल 2015 से आज तक विभाग के किसी भी प्रकार का रिटर्न नहीं दाखिल किया है।

वाणिज्य कर आयुक्त ने जोनल अपर आयुक्तों से कहा कि ऐसे सभी व्यापारियों का ब्योरा उनके पास भेजा गया जहां पर उन्‍होंने सवा लाख व्‍यापारियों का रजिस्‍ट्रेशन निरस्‍त कर दिया।

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