आखिरकार ‘प्रभु’ को आई समझ, लातूर को नहीं चुकाने होंगे चार करोड़

मुंबई। लातूर को वाटर ट्रेन के बदले मिला चार करोड़ रुपए का बिल अब नहीं चुकाना होगा। मध्य रेलवे ने यह बिल लातूर जिला प्रशासन को भेजा था। लेकिन अब रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इसे वापस ले लिया है।

वाटर ट्रेन

वाटर ट्रेन पर प्रभु की किरकिरी

मामला मीडिया में आने के बाद रेलवे का कहना है कि वाटर ट्रेन का बिल अपनी ओर से नहीं दिया गया। लातूर जिला प्रशासन ने इसकी मांग की थी, जिसके जवाब में चार करोड़ रुपए का बिल भेजा गया।

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मध्य रेलवे ने अपने बयान में कहा, ‘लातूर जिला प्रशासन ने वाटर ट्रेन पर हुए खर्च का ब्योरा मांगा था, जो हमने दिया। इसके बदले रेलवे ने इस काम में खर्च होने वाली लागत नहीं मांगी है।’

रेलवे अब तक लातूर को छह करोड़ लीटर पानी भेज चुका है। पहले वाटर ट्रेन बाद में राजस्थान से आने वाली जलदूत के जरिए लोगों की जरूरत पूरी की जा रही है।

रेल प्रशासन की शोलापुर और पुणे डिवीजन के कर्मचारी दिन-रात तालूर तक पानी पहुंचाने में लगे हुए हैं। इससे पहले मध्य रेलवे ने लातूर जिला प्रशासन को 25 लाख लीटर पानी देने के बदले चार करोड़ रुपए का बिल भेजा था।

मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर एसके सूद ने बताया था कि लातूर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को चार करोड़ रुपए का बिल भेजा गया है। उनके बिल जमा कराने की दरख्वास्त की गई है।’

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एसके सूद ने कहा था, ‘हमसे वाटरट्रेन के बदलेे बिल का भुगतान करने की बात कही गई थी।’ इसी विश्वास पर लातूर में वाटर ट्रेन भेजी गई थी।

वही, लातूर के जिला कलेक्टर पांडुरंग पोलेे ने बताया था कि उन्हें वाटरट्रेन के पानी के दाम की जानकारी नहीं है। इस पर कितना टैक्स लगाया गया है, इस बारे में भी हमें कुछ नहीं पता।

लातूर में वाटर ट्रेन पहली बार 11 अप्रैल को भेजी गई थी। इसमें 25 लाख लीटर पानी थी, जिसेे 10 वैगन में भरा गया था। यही ट्रेन बाद में यूपी के बुंदेलखण्ड में भी भेजी गई थी।

मामला सुर्खियों में आने पर रेलमंत्री ने खुद इसमें दखल दिया और बिल को कैंसल कराया। सुरेश प्रभु इस मामले की निगरानी खुद कर रहे हैं। उन पर सवाल उठने के बाद यह कदम उठाया गया है।

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