नोटबंदी का असर: लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ने भी टेक दिए घुटने

लोकतंत्र के चौथे स्तंभइम्फाल। नोटबंदी के फैसले का असर आम जनता पर ही नहीं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर भी दिखाई दे रहा है। व्यवसाय चलाने के लिए पैसे नहीं होने का हवाला देते हुए मणिपुर में अखबारों ने कार्यालय बंद कर दिए हैं। यही वजह है कि शुक्रवार के बाद से मणिपुर में अखबार प्रकाशित नहीं होंगे।

कांग्ला पाओ दैनिक समाचार के मालिक और संपादक पाओनाम लबांगो मनगांग ने कहा कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती और पैसे की समस्या नहीं खत्म हो जाती, तब तक कार्यालय बंद रहेंगे।

मनगांग ने कहा, ‘विज्ञापनदाताओं के पास 500 और 2000 रुपए के नए नोट नहीं हैं और प्रबंधन ने बंद हुए नोटों को स्वीकार करने से मना कर दिया है।’

वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता निमयचंद लुवांग ने कहा, ‘जनवरी में होने वाले चुनावों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। प्रेस के बिना लोकतंत्र असंभव है। कांग्रेस सरकार मुद्राओं की पर्याप्त संख्या में मांग करने में असफल रही है। इसके अलावा अधिकांश बैंक सुरक्षा चिंताओं के चलते नकदी नहीं चला रहे हैं।’

मणिपुर के सभी अखबारों के प्रकाशक संघ और वितरकों की गुरुवार रात हुए आपात बैठक में अखबारों के कार्यालय को बंद करने का निर्णय लिया गया है। यही नहीं, राज्य के सवांददाताओं ने भी 300 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल खरीद कर ड्यूटी के दौरान खबर की तलाश में इधर-उधर जाने से इंकार कर दिया है।

LIVE TV