लीजिये हो गया खुलासा, इस वजह से टूटती है आप की नींद

बीजिंग। सामाजिक दबाव लोगों को जरूरत से कम नींद लेने पर मजबूर कर रहा है। इससे वैश्विक स्तर पर नींद के संकट का जोखिम बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने एक स्मार्टफोन एप के आंकड़ों से यह निष्कर्ष निकाला है।

शोध के लिए मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 100 देशों के कुल 6,000 लोगों के नींद के तरीकों का आंकलन किया। इस दौरान प्रतिभागियों की आयु, लिंग, रोजाना मिलने वाला प्राकृतिक प्रकाश तथा सांस्कृतिक दबावों का अध्ययन किया गया था।

नींद की कमी बनी बड़ी समस्या

अध्ययन के अनुसार नींद पर समााजिक प्रभाव की कुल मात्रा काफी हद तक स्पष्ट नहीं थी। शोध में पाया गया है कि नींद की कमी की समस्या अक्सर बिस्तर पर जाते वक्त आती है।

मध्यम आयु वर्ग के पुरुष सबसे अधिक नींद की कमी से जूझते पाए गए। उन्हें सात से आठ घंटे की नींद आम तौर से नहीं मिलती। शोध में बताया गया है कि नींद की कमी से मानव स्वास्थ्य पर काफी हानिकारक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

यह शोध 2014 में लांच हुए स्मार्टफोन एप ‘एनट्रेन’ के आंकड़ों पर आधारित है। इसे विमान यात्रा से हुई थकान (जेटलैग) से लड़ने के उद्देश्य से लांच किया गया था।

यह शोध ‘साइंस एडवांसेज’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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