लिव-इन में रहने वालों को कोर्ट ने दी बड़ी खुशखबरी, लागू किया ये नया नियम…

महाराष्ट्र की एक अदालत ने शादी के बहाने से अपनी लिव-इन पार्टनर के साथ बलात्कार करने और धोखा देने के आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि उनका संबंध बलात्कार की परिभाषा के तहत नहीं आता है।

जिला न्यायाधीश एस ए सिन्हा ने पिछले बृहस्पतिवार को दिए अपने आदेश में कहा कि अभियोजन आरोपी श्वेत विजय कमल सिन्हा के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा है और उसे रिहा किया जाना चाहिए। वह मुंबई का रहने वाला है।

अभियोजन के मुताबिक, मीरा रोड इलाके में रहने वाली 39 साल की महिला 2001 में आरोपी के संपर्क में आई और दोनों का प्रेम प्रसंग हो गया।

अभियोजन ने बताया कि व्यक्ति ने जोर दिया कि उन्हें अपना रिश्ता कायम रखना चाहिए और उससे शादी तक का वादा किया। वह बेरोजगार था और महिला आर्थिक रूप से उसकी मदद करती थी।

उन्होंने बताया कि जब महिला ने उससे शादी के लिए कहा तो उसने अलग अलग जाति से होने और उम्र्र में बड़े होने के बहाने बनाए।

साल 2007 में, महिला ने अन्य व्यक्ति से शादी कर ली लेकिन एक साल के भीतर ही वे अलग हो गए। आरोपी फिर से महिला के संपर्क में आ गया।

दोनों ने अपना संबंध जारी रखा और महिला गर्भवती हो गई।

अभियोजन के मुताबिक, आरोपी ने महिला से गर्भपात कराने को कहा लेकिन महिला ने मना कर दिया और 2010 में बच्ची को जन्म दिया।

जब आरोपी ने महिला से शादी नहीं की और उसे धमकाया तो उसने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 417 (धोखाधड़ी), 506 (जान से मारने की धमकी), 504 (शांति भंग करने के लिए उकसावे के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) के तहत मामला दर्ज कराया।

न्यायाधीश ने कहा कि जिरह के दौरान महिला ने स्वीकार किया है कि वह आरोपी के साथ लिव-इन संबंध में थी।

पुलिस ने बरामद किया 2.5 करोड़ रुपए की कीमत के दो दोमुंहे सांप !

न्यायाधीश ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी ने महिला की मर्जी के खिलाफ जबरन यौन संबंध बनाए। आरोपी और शिकायतकर्ता लिव-इन संबंध में थे और उनका रिश्ता बलात्कार की परिभाषा में नहीं आता है।

LIVE TV