‘लालू यादव का चुनाव में उपस्थित न होना ही सबसे बड़ी चुनौती’

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के पुत्र तेज प्रताप यादव ने कहा है कि उनके पिता की गैरहाजिरी के कारण मौजूदा लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान चलाने में ‘‘बहुत बड़ी चुनौती’’ का सामना करना पड़ा, तब भी पार्टी ने यह चुनाव ‘‘बेहतर ढंग’’ से लड़ा।

अपनी वक्रोक्तियों और एक पंक्ति के मारक व्यंग्य करने के लिए मशहूर लालू प्रसाद इन चुनावों में भाग नहीं ले सके क्योंकि वह चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे हैं। लालू इन दिनों बीमार हैं और रांची के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

तेज प्रसाद ने कहा, ‘‘23 मई को राज्य में ढेर सारी जगहों पर लालटेन (राजद का चुनाव चिह्न) जल उठेगा। उनका मानना है कि चुनाव परिणाम ‘‘चौंकाने’’ वाले होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता हमेशा गरीबों और दमित लोगों की आवाज रहे और यही विरासत उन्होंने मुझे और मेरे भाई (तेजस्वी यादव) को सौंपी है कि उन लोगों के लिए लड़ा जाए और समाज में समानता एवं न्याय लाया जाए।’’

तेज प्रताप ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इन चुनावों में उनकी (लालू प्रसाद की) गैरहाजिरी वास्तव में हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रही।’’

राजद नेता से जब पूछा गया कि हाल में संपन्न चुनावों में बिहार में महागठबंधन को कितनी सीटें पर जीत की उम्मीद है तो लालू के ज्येष्ठ पुत्र ने कहा, ‘‘आंकड़ा बदल सकता है क्योंकि अभी मतदाताओं का मिजाज स्पष्ट नहीं है।’’

तेज प्रताप ने कहा, ‘‘ हमने (राजद) अपना काम किया। हम लोगों तक पहुंचे और उन्हें बिहार एवं देश की राजनीतिक और आर्थिक हालत के बारे में बताया। अगर किस्मत ने साथ दिया तो हम अपनी तैयारियों के मुताबिक 20 से 23 सीटें जीतने जा रहे हैं।’’

महुआ से विधायक तेज प्रताप ने कहा कि वह स्वयं निश्चित नहीं हैं कि पार्टी कितनी सीटें जीतने जा रही है। इस बार ‘‘चौंकाने वाले परिणाम’’ सामने आ सकते है।

उन्हें यह भी आशा है कि उनकी बहन मीसा भारती इस बार पाटलीपुत्र लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतेंगी।

इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार में महागठबंधन में शामिल राजद ने 19, कांग्रेस ने नौ, आरएलएसपी ने पांच, वीआईपी पार्टी और हम पार्टी ने तीन-तीन सीटों पर चुनाव लड़ा है।

तेज प्रताप ने इस विशेष साक्षात्कार में दावा किया कि उनके व उनके भाई तेजस्वी यादव के मध्य किसी तरह का कोई विवाद नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे और मेरे भाई के बीच किसी तरह का विवाद नहीं है। मैं इसे साबित करने की चुनौती देता हूं। वास्तव में, मेरा आशीर्वाद सदैव उसके लिए है और मैं वही करूंगा जो मेरे पिता ने करने को कहा है। वास्तव में मैं अपने भाई के लिए कवच बन कर रहा हूं, जब भी उन पर हमला किया गया है।’’

मीडिया में आई ऐसी बातों को जिनमें कहा गया है कि आध्यात्मिकता उनके राजनीतिक करियर पर ग्रहण लगा रही है, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुंये उन्होंने कहा, ‘‘मैं राजनीतिक और आध्यात्मिक हूं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘मैं कृष्ण और शिव का भक्त हूं। मैं मथुरा और वृंदावन गया ताकि ऊर्जा हासिल कर सकूं। कुछ लोगों को पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर ऊर्जा मिलती है, कुछ लोगों को गांव के तालाब में निकट जाने से मिलती है। इसका मतलब यह नहीं है कि राजनीति से मेरा अब जुड़ाव कम है क्योंकि मैं अब अधिक आध्यात्मिक हूं।’’

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