रेलवे ने मांगा लातूर की प्यास बुझाने का बिल

लातूर में वाटर ट्रेनमुंबई। महाराष्‍ट्र के लातूर में वाटर ट्रेन भेजने वाली रेलवे अब इसके एवज में पैसे मांग रही है। रेलवे के इसके एवज में चार करोड़ रुपए का बिल जिला प्रशासन को चिपका दिया है। एक तो लातूर के पास पानी नहीं, अब इतना बड़ा बिल कैसे जमा होगा, यह सवाल मुंह बाए खड़ा है।

लातूर में वाटर ट्रेन

लातूर को वाटरट्रेन भेजने के बाद रेलवे भी सुर्खियों में आया था। वाटर ट्रेन के जरिए रेलवे ने भी नई पहचान पाई थी। लेकिन अब मामला नए मोड़ पर पहुंच गया है।

मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर एसके सूद ने बताया, ‘हमने लातूर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को चार करोड़ रुपए का बिल भेजा है। उनके बिल जमा कराने की दरख्वास्त की गई है।’ अब गेंद लातूर जिला प्रशासन के पाले में हैं।

लातूर जिला प्रशासन को तय करना होगा कि यह बिल कैसे दिया जाए। एसके सूद इस बारे में कहते हैं, ‘हमसे वाटरट्रेन के बदलेे बिल का भुगतान करने की बात कही गई थी।’ इसी विश्वास पर लातूर में वाटर ट्रेन भेजी गई थी।

इस बारे में लातूर के जिला कलेक्टर पांडुरंग पोलेे ने बताया, ‘हमें वाटरट्रेन के पानी के दाम की जानकारी नहीं है। इस पर कितना टैक्स लगाया गया है, इस बारे में भी हमें कुछ नहीं पता।’

लातूर में वाटर ट्रेन पहली बार 11 अप्रैल को भेजी गई थी। इसमें 25 लाख लीटर पानी थी, जिसेे 10 वैगन में भरा गया था। यही ट्रेन बाद में यूपी के बुंदेलखण्ड में भी भेजी गई थी।

हालांकि तब खबरें आई थीं कि इसमें पानी नहीं है। यह बात भी सामने आई थी कि यूपी सरकार ने ट्रेन से पानी लेने से इनकार कर दिया है।

बहरहाल, लातूर में अब भी पांच लाख लोग पानी की कमी से बेहाल हैं। इनकी प्यास बुझाने के लिए अब राजस्थान के कोटा से 50 वैगन वाली वाटर ट्रेेन भी भेजी गई थी। राजस्थान से मराठवाड़ा भेजी गई इस ट्रेन का नाम जलदूत था।

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