मवेशी व्यापार नियम के खिलाफ मंगलवार को होगा ‘रेल रोको’ आंदोलन

रेल रोको आन्दोलननई दिल्ली। मार्क्‍सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) की किसान शाखा, अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने केंद्र सरकार के ‘किसान विरोधी’ मवेशी व्यापार अधिसूचना को वापस लेने की मांग करते हुए 13 जून से महाराष्ट्र में रेल रोको आन्दोलन चलाने की घोषणा की है। माकपा की किसान शाखा और अन्य कार्यकर्ताओं ने यहां जंतर-मंतर पर किसानों की एक सभा को संबोधित करते हुए ध्यान दिलाया कि केंद्र सरकार की इस अधिसूचना से किसानों के जीवन पर संकट पैदा हो गया है।

एआईकेएस के महासचिव हन्नान मुल्लाह ने कहा, “यह अधिसूचना किसान विरोधी है। हजारों किसान अपनी आजीविका से हाथ धो बैठेंगे। सरकार अपने हरेक वादे को एक-एक कर तोड़ रही है। हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और 13 जून से महाराष्ट्र में ‘रेल रोको, सड़क रोको’ आंदोलन शुरू करेंगे।”

इस आंदोलन में किसान और समान विचारधारा वाले अन्य समूह भी शामिल होंगे।

नागरिक समाज के कई अन्य सदस्यों ने भी इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाई और कहा कि इस कदम से महिलाएं भी प्रभावित होंगी।

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) के महासचिव मरियम धावले ने कहा, “किसी भी खेतिहर समाज में महिलाएं ही पशुओं का मुख्य रूप से देखभाल करती हैं। इस अधिसूचना से उनकी आजीविका पर खतरा पैदा हो गया है। यहां लोकतंत्र है। सरकार इस तरह के फैसले हमारे ऊपर नहीं लाद सकती।”

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन (एनएफआईडब्लयू) की महासचिव एनी राजा ने कहा, “इस अधिसूचना से दो एजेंडा पूरा होता है। पहला तो यह मवेशी व्यापार से छोटे किसानों को प्रतिस्पर्धा से पूरी तरह से बाहर कर देगा और औद्योगिक मांस निर्यातकों को फायदा पहुंचाएगा। इसके साथ ही यह मुस्लिम और दलित समुदाय की आजीविका छीन लेगा। क्योंकि ज्यादातर पशु व्यापारी इन्ही समुदायों से आते हैं।”

उन्होंने कहा कि यह अधिसूचना ‘साल 2025 तक भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लक्ष्य के अनुरूप है।’

यह अधिसूचना जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम नियम 2017 के अंतर्गत 23 मई को जारी किया गया, जिसमें पशुओं के वध (मांस के लिए) के लिए मवेशी व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस अधिसूचना को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है और इसकी संवैधानिकता पर 15 जून को सुनवाई होगी।

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