रिसर्च में हुआ खुलासा ! 5 साल में 58% कर्ज में डूबे भारतीय , 7.4 लाख करोड़ की हुई देनदारी…

देश के भारतीय कर्ज में डूबता जा रहे हैं. वहीं देखा जाये तो  इस साल 58 प्रतिशत बढ़कर 7.4 लाख करोड़ देनदारी कर्ज हो चुका हैं. वहीं  देश के सबसे .बड़े सरकारी बैंक  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिजर्व विंग का हैं.

 

खबरों के मुताबिक इस पांच साल में परिवारों का कर्ज दोगुना हुआ है जबकि इस दौरान खर्च करने वाली आमदनी (जिसे अंग्रेजी वाले डिस्पोजेबल इनकम कहते हैं) महज डेढ़ गुना बढ़ी है. इसका नतीजा हुआ है कि देश की कुल बचत में 4 फीसदी की बड़ी गिरावट आई है और यह 34.6 फीसदी से गिरकर 30.5 फीसदी पर सिमट गई है.

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जहां बचत की इस बड़ी गिरावट की सबसे बड़ी वजह घरेलू स्तर पर बचत में आई गिरावट है. इस पांच साल में परिवारों की बचत तकरीबन छह फीसदी (जीडीपी) गिरी है. वित्तीय साल 2012 में जो घरेलू बचत दर 23.6 फीसदी थी वो 2018 में घटकर 17.2 फीसदी रह गई.

दरअसल देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि केवल कर्ज रेट कम करने से मामला नहीं सुलझेगा अब सरकार की ओर से कुछ और पहलकदमी करनी होगी. बैंक ने अपने रिसर्च नोट में कहा है कि कैपिटल गेन टैक्स को हटाने के बाद 2018 में वित्तीय बचत पर कुछ असर दिखा, लेकिन 2019 में यह कम हो गया.

वहीं बैंक का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में सरकार को मांग बढ़ाने के लिए कुछ खर्चों यानी को बढ़ाना चाहिए.किसानों को आर्थिक मदद के लिए जो स्कीम शुरू हुई है, उसमें अभी तक टार्गेट से कम किसानों का आवंटन हुआ है. पीएम-किसान पोर्टल के आंकड़े बताते हैं कि लक्ष्य से तकरीबन आधे किसानों की पंजीकरण हुआ है. जून 2019 तक 6.89 करोड़ किसानों का वैलिडेशन हुआ था जबकि टार्गेट 14. 6 करोड़ का था. इसे बढ़ाकर ग्रामीण मांग बढ़ाई जा सकती है.

 

 

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