हर संघर्ष में अफ्रीका के साथ है भारत : राष्ट्रपति

राष्ट्रपतिविंडहॉक (नामीबिया)| अफ्रीका के साथ एक नया रिश्ता बनाने का वादा करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने महाद्वीप के लोगों को भरोसा दिया, “आपके हर संघर्ष में हम आपके साथ हैं।” राष्ट्रपति ने तीन अफ्रीकी देशों घाना, कोत दिव्वार और नामीबिया के नेतृत्व के साथ बातचीत के दौरान यह संदेश दिया और भारतीय प्रवासियों के माध्यम से भी यही संदेश देने की कोशिश की गई। इस पर भी जोर दिया गया कि जिन देशों का दौरा किया जा रहा है, वह भी बिना सोचे समझे नहीं बल्कि उन देशों का हो जिन तक भारत पहुंच बनाना चाहता है। मुखर्जी पहले भारतीय प्रमुख हैं जो उच्चस्तरीय संपर्क बनाने के हिस्से के रूप में इन देशों का दौरा कर रहे हैं।

राष्ट्रपति अफ्रीकी देशों के दौरे पर हैं

मुखर्जी ने अफ्रीका में रह रहे या बस गए भारतीयों के बारे में कहीं से भी कोई शिकायत नहीं सुनी, क्योंकि भारतीय कानून को मानने वाले नागरिक होते हैं। जिन देशों को उन्होंने अपना घर बनाने के लिए चुना है, उन देशों के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं। राष्ट्रपति मुखर्जी ने अपने स्वागत में आयोजित एक समारोह में प्रवासी भारतीयों से कहा, “आप भारत के ‘साफ्ट पावर’ के प्रतीक हैं। आप लोग गैर आधिकारिक दूत हैं, भारत के सांस्कृतिक दूत हैं।”

पश्चिमी अफ्रीका के घाना और कोत दिव्वार में क्रमश: 10 हजार व 2500 भारतीय हैं। राष्ट्रपति नामीबिया बुधवार की शाम पहुंचे थे। यहां भारतीय पेशेवर, कामगार और व्यापारी वर्ग के 300 लोगों का समुदाय है। मुखर्जी ने कहा कि महात्मा गांधी ‘विदेश में महानतम भारतीय’ थे जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में उपनिवेशवाद, रंगभेद और शोषण के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत की। इसने उन्हें विकसित होने में और वतन लौटकर आजादी के आंदोलन का नेतृत्व करने में मदद की। दुनिया की तब की सबसे बड़ी ताकत के खिलाफ एक अहिंसक आंदोलन छेड़ा।

राष्ट्रपति मुखर्जी ने विदेश में रहने वाले भारतीयों से आग्रह किया कि वे अपनी मातृभूमि को लेकर गर्व करें। वह स्वतंत्रता के बाद से पूरी तरह से बदल गई है। भारत में लोगों का अनुमानित जीवन काल 28 साल से बढ़कर 72 साल हो गया है। उसकी अर्थव्यवस्था वर्ष 2008 में नीचे की ओर जाने के बावजूद बढ़ी और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गई जबकि बहुत से अन्य देश लड़खड़ा गए।

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