राम सबमें हैं, राम सबके साथ हैं : प्रियंका गांधी

नई दिल्ली। पांच अगस्त को देश एक बार फिर इतिहास दौहराने जा रहा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तैयारियां जोरो से चल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन की नीव रखेगें। वहीं दूसरी ओर अयोध्या में इस भूमि पूजन के कार्यक्रम को लेकर लगातार राजनीतिक बयानबाजी भी जोर पकड़े हुए है। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की ओर से बयान जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि “भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने।”

मंगलवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने ट्वीट कर कहा है कि भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्यपरायणता, त्याग, उदात्तता, प्रेम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक रामकथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्रीहरि के अनगिनत रूपों की तरह ही रामकथा हरिकथा अनंता है।

उन्होंने कहा कि युग-युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोड़ने का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम सबरी के भी हैं, सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एषुत्तच्छन के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं। ‘गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सम्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं जो रब है वही राम है।’

वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ राममय में नजर आए। उन्होंने ने भूमि पूजन का समर्थन किया, साथ ही स्वागत भी किया। उन्होंने लोगों को भूमि पूजन की बधाई भी दी। इतना ही नहीं कमलनाथ ने अपने ट्विटर पर प्रोफाइल फोटो भी बदल ली है और भगवा वस्त्र में नज़र आ रहे हैं।

प्रियंका ने कहा कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राम को ‘निर्बल का बल’ कहते हैं। तो महाप्राण निराला ‘वह एक और मन रहा राम का जो न थका’ की कालजयी पंक्तियों से भगवान राम को ‘शक्ति की मौलिक कल्पना’ कहते हैं। राम साहस हैं, राम संगम हैं, राम संयम हैं, राम सहयोगी हैं। ‘राम सबके हैं। भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं।’ इसीलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। उन्होंने कहा कि आगामी 05 अगस्त को रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम रखा गया है। भगवान राम की कृपा से यह कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बने। जय सियाराम ।

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