हकीकत नही है रामसेतु, भारतीय वैज्ञानिक करेंगे जांच

रामसेतुनई दिल्ली। अयोध्या का राम मंदिर विवाद अभी सुलझा भी नहीं था कि इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR) ने राम सेतु का मुद्दा गर्मा दिया है। ICHR ने रामसेतु की हकीकत जानने के लिए पायलट प्रॉजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है। हिंदी इतिहास के अनुसार रामसेतु भगवान राम ने बनाया था। लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले ICHR ने घोषणा कि है की अब वो यह पता लगाएगा की रामसेतु प्राकृतिक है या फिर मानव निर्मित।

ICHR के चेयरमैन वाई सुदर्शन राव के मुताबिक, रामसेतु पर पायलट प्रॉजेक्ट अक्टूबर में शुरू किया जाएगा और यह दो महीने तक चलेगा। इसके बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसकी रिपोर्ट पेपर पब्लिश होगी।

उन्होंने कहा, अभी तक किसी ने रामसेतु को लेकर मटीरियल एविडंस एकत्र नहीं किए हैं। इस पायलट प्रॉजेक्ट में मरीन आर्कियॉलजिस्ट की मदद से मटीरियल एविडंस सामने लाने की कोशिश की जाएगी।

उन्होंने बताया, यह पूरा प्रॉजेक्ट असम की सिल्चर यूनिवर्सिटी में आर्कियॉलजी के प्रफेसर आलोक त्रिपाठी की देखरेख में होगा। प्रफेसर त्रिपाठी ASI के डायरेक्टर रह चुके हैं। इस पायलट प्रॉजेक्ट के लिए रिसर्च स्कॉलर का चयन राष्ट्रीय स्तर पर सिलेक्शन प्रकिया के जरिए होगा, जिन्हें जून में दो हफ्ते की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

सुदर्शन राव ने बताया कि, यूनेस्को से डायविंग लाइसेंस लेकर इस प्रॉजेक्ट पर काम किया जाएगा। इसमें ASI और एक्सपर्ट्स मरीन आर्कियॉलजिस्ट की मदद भी ली जाएगी।

ICHR के मेंबर सेक्रटरी आनंद शंकर सिंह ने बताया, ICHR दिल्ली में 27 से 29 मार्च तक तीन दिन का सेमिनार करने जा रहा है। इस सेमिनार में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक स्टडीज के डायरेक्टर डेविड फ्रॉली सहित ASI के पूर्व डीजी बीबी लाल के साथ करीब 26 स्कॉलर अपने रिसर्च पेपर पेश करेंगे। इस सेमिनार में आए सभी स्कॉलर का उद्देश्य डार्क पीरियड की कड़ियों को जोड़ना होगा।

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