‘इससे बेहतर नहीं हो सकता था राफेल विमानों का सौदा’

नई दिल्ली। भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमानों की खरीद के लिए हुआ करार इससे और बेहतर नहीं हो सकता था। सरकारी सूत्रों ने यह दोहराते हुए इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि भारत ने कई भूमिकाओं में काम करने में सक्षम राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अधिक मूल्य चुकाया है। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के 36 राफेल विमानों के सौदे के बारे में 20 अक्टूबर के बयान के संदर्भ में सूत्रों ने कहा कि इससे बेहतर सौदे का किसी भी देश ने प्रस्ताव नहीं दिया था।

राफेल विमानों

पर्रिकर ने कहा था, “हम लोग जो कर सकते थे, यह उनमें सबसे अच्छा सौदा है। ऐसा इस वजह से हुआ क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति इस बात पर सहमत हुए थे कि हमलोगों में ऐसा करार हो जैसा प्रस्ताव किसी और देश को नहीं दिया गया हो।”

स्वराज अभियान ने आरोप लगाया है कि इन विमानों का भारत ने दोगुना मूल्य चुकाया है जिसके जवाब में पर्रिकर ने यह बात कही।

भारत ने इन विमानों को खरीदने के लिए फ्रांस के साथ गत 23 सितम्बर को अंतर सरकारी करार किया। रूस के साथ 1990 के दशक में सुखोई विमानों की खरीद के बाद लड़ाकू विमानों की खरीद का यह पहला करार है।

यह विमान भारतीय वायुसेना के अत्यंत महत्वपूर्ण, कई भूमिकाएं निभाने वाले लड़ाकू विमान के अभियान से जुड़ी जरूरतों को पूरा करेगा। खासकर चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के संदर्भ में यह बात कही गई है।

पर्रिकर और उनके फ्रांसिसी समकक्ष जीन यीव्स ली ड्रियान ने इस खरीद करार पर हस्ताक्षर किए थे। ये विमान परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं।

इस सौदे के तहत यह भी बाध्यता है कि फ्रांसीसी कंपनी कुल खरीदारी की रकम का 50 प्रतिशत रकम भारत में निवेश कर व्यापार में हुई कमी को पूरा करेगा। व्यावसायिक शब्दों में कहा जाए तो 50 प्रतिशत ऑफसेट की व्यवस्था है। यह ऑफसेट व्यवस्था भारत के लिए किसी भी देश के साथ अब तक की सबसे बड़ी ऑफसेट व्यवस्था है।

अत्याधुनिक मिसाइल व हथियार प्रणाली से लैस इन विमानों के मूल्य को लेकर बहुत कड़ा मोलभाव हुआ था।

करार पर हस्ताक्षर होने के कुछ ही देर बाद पर्रिकर ने ट्वीट किया था कि इससे भारत की हमला और रक्षा क्षमता में पर्याप्त रूप से बेहतरी आएगी।

मोलभाब बहुत अधिक हुआ इसी वजह से इस सौदे में देरी हुई। इस करार के तहत 36 विमान, उसके अतिरिक्त पार्ट पुर्जे और हथियार शामिल हैं।

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