राजधानी में मंडरा रहा सांड़ों का आतंक, नगर निगम ने बनायीं नयी रणनीति !

रिपोर्ट – आशीष सिंह

लखनऊ : इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सड़कों पर साड़ों का आतंक देखते ही बनता है | आवारा सांडों ने मौत का खेल मार्च के अंतिम सप्ताह से शुरू किया जो आज तक जारी है |

यही कारण है कि लगातार हो रही घटनाओं ने आतंक मचा कर रख दिया है | शहर के अंदर फिलहाल 1000 आवारा सांड़ घूम रहे हैं | जिससे अमूमन किसी न किसी सड़क पर अचानक सांड के आने से लोगों के कदम ठिठक जाते हैं |

इसके बाद किसी की हिम्मत नहीं कि कोई उसे क्रॉस करे | जब तक वह सड़क पर होता है तब तक ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है | फिर वह घूमते हुए जिधर भी जाता है उधर आतंक मचता है |

सड़क पर सांड को देखकर यही लगता है कि वह कहीं पीछे से हमला न कर दे | तो वहीं अब इस मामले में नगर निगम के अधिकारियों ने नई रणनीति पर काम शुरू किया है |

स्मार्ट सिटी में शुमार सांड़ों ने सड़कों और चौराहों पर किस कदर खौफ बनाया है, इसका अंदाजा शहर में हो रही घटनाओं से लगाया जा सकता है | मार्च के अंतिम सप्ताह में मोहनलालगंज के भागूखेड़ा में आवारा सांड ने अनिल कुमार की पटक-पटक कर जान ले ली थी |

इसके बाद 22 अप्रैल वृंदावन कॉलोनी सेक्टर-5 में रहने वाले सेल्समैन मनोज पाल को सांड ने पटक दिया था | जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे | बाद में उपचार के दौरान लोकबंधु अस्पताल में मनोज की मौत हो गई थी |

एक और घटना 27 अप्रैल को सरोजनीनगर में मुल्लाहीखेड़ा में हुई | यहां के गोविंद को नटकुर गांव की नहर के पास बेकाबू सांड ने कई बार उठा-उठाकर पटका | गंभीर रूप से घायल गोविंद ने भी अस्पताल में दम तोड़ा था |

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वहीं 30 अप्रैल को माल के रामनगर में रहने वाले नन्हें अपने खेत जा रहे थे, तभी रस्ते में सांड़ ने उस पर हमला बोल दिया | जब तक वह कुछ समझ पता कि सांड ने उसे सींगों से उसे उठा लिया और कई बार सड़क पर पटका|

बचाने के लिए पहुंचे लोगों ने सांड को लाठी-डंडे पटक कर किसी तरह भगाया | गंभीर रूप से घायल नन्हें को सीएचसी ले जाया गया |  हालत बिगड़ते देख घायल को ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया है |

राजधानी में आवारा सांड आम लोगों की जिंदगी पर मौत बन कर मंडरा रहे हैं | निगम प्रशासन इन्हें पकड़ने का दावा तो करता है लेकिन अभियान के बाद फिर उतनी ही संख्या में सांड़ सड़क पर दिखाई देते हैं |

बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में सांड आ कहां से रहे हैं | निगम प्रशासन की माने तो शहर में जितने सांड थे, उन्हें पकड़ कर कान्हा उपवन भेजा जा चुका है, अगर ऐसा है तो फिर शहर की गलियों में घूमने वाले सांड कहां के हैं?

निगम प्रशासन की ओर से इन्हें पकड़ने के बाद कान्हा उपवन भेजा जाता है | इसके बाद कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आता है जो सांड को छुड़ाए | जिससे निगम प्रशासन को ही सांड की देख-रेख करनी पड़ती है | निगम की ओर से यह प्रयास किया जाता है कि डेयरी संचालक इनकी देखरेख की जिम्मेदारी लें लेकिन नतीजा जीरो रहता है |

नगर निगम की ओर से सांड पकड़ने के लिए नियमित रूप से अभियान चलाया जाता है | पिछले जुलाई से सितम्बर तक सांड पकड़ने का अभियान चलाया गया था |

जिसमें 4000 सांड पकड़े गए थे | अब फिर से अभियान शुरू किया गया है, जिसमे हर रोज 100 सांड पकड़ने का लक्ष्य रखा गया है | 15 दिन के अंदर सभी सांड़ कान्हा उपवन में होंगे |

 

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