राई के फायदे से ज्यादा है नुकसान, जान लें तो बेहतर रहेंगे आप

राई के कई फायदे होते है यह एक गुणकारी मसाला है। इसमें भी काफी औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका लगभग सभी तरह के आचारो को बनाने में प्रयोग किया जाता है यह रसोई की शान तो है ही, साथ ही अनेक रोगों को भी भगाती है। बतौर औषधि इसके द्वारा कई रोगों को दूर रखा जा सकता हैं। राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं। बस राई सरसों से थोड़ी छोटी होती है। दिखने में यह सरसों के दानो से छोटा- दाना है राई, मगर कमाल के गुण हैं इसमें।

राई

इसके छोटे-छोटे दाने होते हैं जो कि गहरे लाल होते हैं। इसका सेवन मसाले के रूप में होता है। इसके अन्दर तेल का अंश भी काफी मात्रा में होता है, जो कि सभी जगह उपलब्ध होता है और इसे खाना बनाने में प्रयोग करते हैं। इसका स्वाद चरपरा और कुछ कड़वाहट लिये हुए होता है। इसकी तासीर गरम होती है, इसीलिए यह पाचक अग्नि को बढ़ाती है, यह रुचिकर होती है।

राई के कई फायदे होते है यह एक गुणकारी मसाला है। इसमें भी काफी औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका लगभग सभी तरह के आचारो को बनाने में प्रयोग किया जाता है यह रसोई की शान तो है ही, साथ ही अनेक रोगों को भी भगाती है। बतौर औषधि इसके द्वारा कई रोगों को दूर रखा जा सकता हैं। राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं। बस राई सरसों से थोड़ी छोटी होती है। दिखने में यह सरसों के दानो से छोटा- दाना है राई, मगर कमाल के गुण हैं इसमें।

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इसके छोटे-छोटे दाने होते हैं जो कि गहरे लाल होते हैं। इसका सेवन मसाले के रूप में होता है। इसके अन्दर तेल का अंश भी काफी मात्रा में होता है, जो कि सभी जगह उपलब्ध होता है और इसे खाना बनाने में प्रयोग करते हैं। इसका स्वाद चरपरा और कुछ कड़वाहट लिये हुए होता है। इसकी तासीर गरम होती है, इसीलिए यह पाचक अग्नि को बढ़ाती है, यह रुचिकर होती है।

गर्म होने के कारण वात एवं कफ को खत्म करती है। इससे वात एवं कफ की बहुत-सी बीमारियां ठीक हो जाती हैं। पेट के दर्द, शरीर के दर्द को दूर करती है और पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। राई के सेवन से पेट का अफारा दूर होता है। पेट में आंव की शिकायत तथा हिचकी एवं सांस की बीमारी में भी यह लाभकारी है।

राई के औषधीय गुण

 

         राई के सेवन से भूख अच्छी लगती है। यह पाचन-शक्ति को तेज करती है। जब पाचन अग्नि तेज़ होगी तो भोजन भी पेट भर खाया जा सकेगा।

         राई के सेवन से पेट में बनने वाली गैस से भी छुटकारा मिलता है।

         राई का पानी तो हमारे पेट के लिए बेहद फ़ायदेमंद रहता है। जिन्हें सांस की बीमारी हो, दमा तंग करता हो, जरा-सा चलने से साँस फूलता हो, उसे राई की चाय पिलाएँ।

         बदहजमी हो या हैज़ा हो या त्वचा के रोग, इन सबके लिए राई लाभकारी रहती है। मासिक धर्म में अनियमितता आ जाए या मिरगी के दौरे पड़ते हों, इन सबका राई से इलाज संभव है।

         यदि पेटदर्द से पीड़ित हों या जुकाम से परेशान, इन सब बिमारियों में राई के लाभ होते है |

         मिरगी रोग में : मिरगी के रोग में, दौरे पड़ना आम बात है। जब रोगी को मिर्गी के दौरे पड़े तब राई लेकर इसे पीसें तथा बारीक साफ सुथरे कपड़े में लपेटें। रोगी को दौरों के दरम्यान सुंघाएँ। इसी से होश आ जाएगा।

         जुकाम का इलाज : यदि जुकाम हो तो राई को थोड़ा पीसकर शहद में मिलाएँ। इस राई मिले शहद को जुकाम का रोगी सूंघे तथा एक चम्मच खा भी ले। हर चार घंटे बाद ऐसी खुराक सूंघे व खाए। जुकाम नहीं रहेगा।

         घबराहट के साथ आप बेचैनी और कंपन महसूस कर रहे हैं, तो अपने हाथों और पैरों में राई के पेस्ट को मलने से आपको आराम मिलेगा |

         अपचन रोग : खाते हैं तो पचता नहीं। कभी खट्टी डकार है तो कभी गैस बनती है। ऐसी अवस्था में एक चौथाई चम्मच राई का पिसा चूर्ण लेकर आधा गिलास पानी में मिलाकर पी लें। अपचन की शिकायत नहीं रहेगी।

         राई को पीसकर पानी मिलाकर चटनी की तरह बनाकर लेप करने से कान के नीचे की सूजन, जोड़ों के दर्द, कांख में गांठ, सफेद दाग, सिरदर्द आदि में इसका लेप लाभदायक होता है। यदि सन्निपात की अवस्था में शरीर ठंडा हो गया हो तो राई को पीसकर हथेली एवं तलुओं पर मलने से तुरन्त शरीर में गर्मी एवं चेतना आ जाती है।

         बच्चों के पेट में अफारा होने पर राई का लेप नाभि के चारों तरफ करना चाहिए।

         पेशाब की रुकावट होने पर इसका लेप पेडू पर करने से लाभ होता है।

         यदि दांतों में दर्द हो तो राई को गरम पानी में मिलाकर कुल्ले करने चाहिएं।

         राई का तेल सिर के अन्दर फुसियां, पपड़ी पैदा होना, बालों का गिरना आदि स्थितियों में बहुत लाभकारी होता है।

         रोगोपचार राई का लेप- शरीर के कुछ अंगों में दर्द होने की स्थिति में राई को पीसकर ठंडा पानी मिलाकर दर्द वाले अंगों पर लेप किया जाता है। राई की पुलटिस बनाकर भी बांधी जाती है। राई के लेप से पहले शरीर के उस स्थान पर, जहां लेप करना हो वहां, पतला साफ कपड़ा बिछाकर उस पर लेप करना चाहिए। त्वचा पर सीधे राई का लेप करने से वह स्थान लाल हो जाता है और फुसियां होने की संभावना रहती है।

         पेट में तेज़ दर्द होने पर राई का लेप करने से लाभ होता है। जब कोई चीज पचती न हो और भयंकर बदहजमी हो तो आधा चम्मच राई का चूर्ण पानी में घोलकर पीने से लाभ होता है।

         हैजे के रोगी को जब उल्टियां और दस्त हो रहे हों और बहुत परेशानी हो, घर में किसी प्रकार की दवाई उपलब्ध न हो तो उस समय पेट पर राई का लेप करना लाभदायक सिद्ध होता है।

         थोड़े से राई के दानो को भोजन में मिलाने से यह खाने का स्वाद बहुत बढ़ा देती है इसलिए ज्यादातर घरो में राई का तड़का लगाया जाता है, इसे खाने का एक प्रकार यह है कि इसे पीसकर एक खुले मुंह की बोतल में डाल दें और उसमें इतना पानी डालें जिससे गाढ़ा घोल-सा बन जाए। 2-3 दिन में इसमें खमीर उठ जाता है। इसमें थोड़ा नमक और सिरका मिलाकर डबलरोटी अथवा किसी अन्य चीज के साथ खाने से भोजन की रोचकता बढ़ती है और खाना आसानी से हजम होने लगता है।

         हिचकियां – बदहजमी अथवा किसी अन्य कारण से जब हिचकियां आती हैं, तो पानी के साथ चुटकी भर नमक और राई देने से लाभ होता है।

         मासिक धर्म में कष्ट- जब स्त्रियों को मासिक धर्म के समय अधिक कष्ट हो अथवा मासिक धर्म खुलकर न आता हो तो उन्हें भोजन करते समय सबसे पहले रोटी के एक ग्रास में राई का चूर्ण मिलाकर खाने से लाभ होता है।

         गठिया और लकवा – राई और सरसों का तेल भी निकाला जाता है। राई के तेल को गठिये की सूजन अथवा दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है। लकवे के रोगियों को भी राई के तेल की मालिश की जाती है। मालिश के बाद शरीर के अंग को कपड़े से ढक देना चाहिए।

         जुकाम- जुकाम में राई को शहद के साथ मिलाकर चाटने अथवा सूंघने से भी जुकाम में लाभ होता है। इससे बलगम बाहर निकलने में सहायता मिलती है। पेट में बलगम हो जाने पर गर्म पानी के साथ राई देने से बलगम आसानी से बाहर निकल जाता है।

         सावधानी – राई की तासीर गर्म होती है इस वजह से रक्तपित्त, रक्तवात, खूनी बवासीर, शरीर में जलन, चक्कर आना, ब्लडप्रेशर बढ़ जाने पर राई के सेवन से बचना चाहिए।

बालों के लिए राई के फायदे

         गिरते झड़ते बालों में जिनमे डैंड्रफ भी हो इसको दूर करने के लिए रात भर राई को पानी में भिगोकर रखें तथा सुबह इस पानी से सिर को धोएं | राई को पीसकर राई के इस पेस्ट को आप हेयर पैक की तरह भी बालों में लगा सकते है इससे भी लाभ होगा |

राई की गुणकारी कांजी बनाने की विधि

         राई के दानो को बारीक पीसकर पानी में मिलाकर और कम मात्रा में नमक मिलाकर रखना चाहिए। एक दिन के बाद इसमें खटास पैदा हो जाती है, अधिक दिन तक रखने पर इसकी खटास और अधिक बढ़ जाती है। यह राई का पानी पेट के लिए बहुत फायदेमंद रहता है। इससे पाचकाग्नि बढती है जिससे भूख लगती है और आहार का पाचन भी ठीक प्रकार से हो जाता है। इसके सेवन से पेट में गैस पैदा नहीं होती, और जिन व्यक्तियों को गैस की शिकायत रहती है। उनकी गैस आसानी से पास हो जाती है। पेट का भारीपन, अफारा और पेट-दर्द की शिकायत में भी यह कांजी लाभदायक होती है।

         जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत हमेशा रहती है, कांजी उन्हें पेट साफ करने में मदद करती है। यदि इसका सेवन भोजन के पहले किया जाए तो यह भूख बढ़ाती है और आहार में रुचि पैदा करती है। भोजन के बाद राई के दानो से बनी इस कांजी का सेवन किया जाय तो खाए गए खाने का पाचन तेजी से करती है। लेकिन जिन व्यक्तियों को खांसी, दमा, सर्दी, जुकाम, बुखार की बीमारी हो, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

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