रहस्यमयी गुफा में बने इस अद्भुत शिवलिंग को देख आप हो जाएंगे हैरान…

हिन्दू (सनातन) धर्म के प्रमुख प्रमुख त्रिदेवों में एक भगवान शिव अपने भक्तों पर सर्वत्र प्रसन्न रहने वाले, उन्हें सबकुछ दे देने वाले जिनकी हर कोई पूजा करता है। वैसे तो भगवान शिव सर्वत्र विराजमान हैं, गुफाओं में अमरनाथ महत्वपूर्ण है पर उनके निवास की एक प्रमुख व रहस्यमयी गुफा है गुप्तेश्वर धाम।

ऐसी मान्यता है कि गुफा को शिव के आदेश पर प्रकृति ने खुद बनाया, जहां उन्होंने भष्मासूर से बचने के लिए उसमें गुप्त हो गए।

अद्भुत शिवलिंग

बिहार के रोहतास जिले (सासाराम) के गुप्तेश्वर धाम (गुप्ता धाम) गुफा में स्थित शिवलिंग की महिमा का बखान आदिकाल व पौराणिक है। मान्यता है कि इस गुफा में जलाभिषेक करने से भक्तों की सभीमन्नतें, मनोकामनाएं  पूरीं हो जाती हैं।

पुराणों में वर्णित भगवान शंकर व भस्मासुर से जुड़ी कथा को जीवंत रखे हुए ऐतिहासिक गुप्तेश्वरनाथ महादेव का गुफा मंदिर आज भी रहस्यमय बना हुआ है। देवघर के बाबाधाम की तरह गुप्तेश्वरनाथ यानी गुप्ताधाम बेहद श्रद्धा व शक्ति संपन्न है।

यहां रामायण कालीन धार्मिक नगरी बक्सर (जहां राम-लक्ष्मण को विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के लिए ले गए थे) से पवित्र गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा है। रोहतास में अवस्थित विंध्य पर्वत श्रृख्ला की कैमूर पहाड़ी के जंगलों से घिरे गुप्ताधाम गुफा की प्राचीनता के बारे में कई पुरानी सूचनाएं हैं।

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हालांकि, इसकी बनावट को देखकर पुरातत्वविद् अब तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि यह गुफा मानव निर्मित है या प्राकृतिक।

कई पुस्तकों के लेखक इतिहासकार श्याम सुंदर तिवारी कहते हैं कि गुफा के नाचघर व घुड़दौड़ मैदान के बगल में स्थित पाताल गंगा के पास दीवार पर उत्कीर्ण शिलालेख, जिसे श्रद्धालु ब्रह्मा के लेख के नाम से जानते हैं, को पढ़ने से संभव है, इस गुफा के कई रहस्य खुल जाएं।

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गुफा में गहन अंधेरा होता है, बिना कृत्रिम प्रकाश के भीतर जाना संभव नहीं है। पहाड़ी पर स्थित इस पवित्र गुफा का द्वार 18 फीट चौड़ा एवं 12 फीट ऊंचा मेहराबनुमा है। गुफा में लगभग 363 फीट अंदर जाने पर बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसमें सालभर पानी रहता है। इसे पातालगंगा कहा जाता है।

गुफा के अंदर प्राचीन काल के दुर्लभ शैलचित्र आज भी मौजूद हैं। इसके कुछ आगे जाने के बाद शिवलिंग के दर्शन होते हैं। गुफा के अंदर अवस्थित प्राकृतिक शिवलिंग पर हमेशा ऊपर से पानी टपकता है। इस पानी को श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

शिव ने यहीं ली थी भस्मासुर से बचने के लिए शरण

इस स्थान पर सावन के महीने के अलावा सरस्वती पूजा और महाशिवरात्रि के मौके पर मेला लगता है। जनश्रृतियों के मुताबिक, कैलाश पर्वत पर मां पार्वती के साथ विराजमान भगवान शिव ने जब भस्मासुर की तपस्या से खुश होकर उसे सिर पर हाथ रखते ही भस्म करने का वरदान दिया था।

भस्मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने के लिए उन्हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा। वहां से भागकर शंकरजी यहां की गुफा के गुप्त स्थान में छुप गए।

भगवान विष्णु से शिव की यह विवशता देखी नहीं गई और उन्होंने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का नाश किया। उसके बाद गुफा के अंदर छुपे भोले बाहर निकले।

सासाराम के वरिष्ठ पत्रकार विनोद तिवारी कहते हैं, शाहाबाद गजेटियर में दर्ज फ्रांसिस बुकानन नामक अंग्रेज विद्वान की टिप्पणियों के अनुसार, गुफा में जलने के कारण उसका आधा हिस्सा काला होने के सबूत आज भी देखने को मिलते हैं।

सावन में एक महीने तक बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और नेपाल से हजारों शिवभक्त यहां आकर जलाभिषेक करते हैं। बक्सर से गंगाजल लेकर गुप्ता धाम पहुंचने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है।

 

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