परम आनंद की प्राप्ति

भारत में श्री श्री रविशंकर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। रविशंकर की बातें आज के समय में अधिक बहुमूल्‍य साबित हो सकती हैं। इनकी  ख्‍याति हिंदुस्‍तान में ही नहीं बल्कि पूरेे विश्‍व में है।  हम आपको बता दें कि रविशंकर की बातें केवल हमारा मार्गदर्शन ही नहीं करतीं बल्‍ि‍क हमें एक नेक आदमी बनाने में भ्‍ाी मदद करती हैं। इन्‍होंने सुदर्शन क्रिया यानि आर्ट आफ लिंविंग (Art of Living)  से लोगों के मन और शरीर में ऊर्जा उत्पन्न कर उन्हें उन्नति के पथ पर चलने की प्रेरणा दी।रविशंकर की बातें ही वह सदमार्ग है जिसपर चलकर मनुष्‍य देवत्‍व को प्राप्‍त कर सकता है। आइए जानते हैं गुरूजी की दस अनमोल बातों को।

रविशंकर की बातें

रविशंकर की बातें अनमोल

1. असंभव स्वप्न देखें। ये जान लें कि आपका जन्म इस विश्व में आश्चर्यजनक और अद्वितीय करने के लिए हुआ है। इस अवसर को जाने न दें। स्वयं को बड़ा सोचने और स्वप्न देखने की स्वतन्त्रता दें।

2.ध्यान ही ऐसा स्थिर मस्तिष्क प्राप्त करने का विकल्प है जो लालसा और द्वेष से ऊपर हो। केवल ध्यान ही आत्मा की भूख को शांत कर सकता है।

3.जि़न्दगी आपको प्रत्येक क्षण का अनुमान लगाने की कला सिखाती है। जब आप यह सीख जाते हैं तो आप प्रसन्न रहना सीख जाते हैं।

4.आप जि़न्दगी में जितना अधिक कार्य करेंगे उतनी ही अधिक श्रेष्ठता आपको प्राप्त होगी। जैसे आपकी श्रेष्ठता बढ़ती जाएगी आप उतने ही शांत और स्थिर होते जायेंगे।

5.आपके अन्दर परमआन्नद का फव्वारा है। आपके केन्द्र में सत्य, प्रकाश और प्रेम है। वहाँ न तो कोई अपराध है और न ही कोई भय व्याप्त है। मनोवैज्ञानिकों ने कभी इतनी गहराई तक नहीं देखा है|

6.वर्तमान ईश्वर द्वारा प्रदत्त उपहार है। इसीलिए इसे अंग्रेज़ी में प्रेज़ेंट कहते हैं।

7.जब आप अपने दुखों को सभी को बताते हैं तो ये कम नहीं होते। जब आप अपने सुखों को किसी को भी नहीं बताते तो भी ये कम हो जाते हैं। इसलिए अपनी समस्यओं को केवल ईश्वर को बताएं और किसी अन्य को नहीं क्योंकि सभी को बताने से समस्या बढ़ती ही है। अपने सुख सभी को बताएं।

8.ज्ञान भार है जब ये आपसे आपकी मासूमियत छीन ले। ज्ञान भार है यदि इससे आपकी जि़न्दगी संपूर्ण नहीं हो पाती। ज्ञान भार है यदि ये आपके लिए प्रसन्न्ताएं लेकर नहीं आए। ज्ञान भार है यदि ये आपको विचार देता है कि आप बुद्धिमान हैं। ज्ञान भार है यदि ये आपको कभी भी आराम से नहीं बैठने दें। ज्ञान भार है यदि ये अहसास दिलाता है कि आप विशेष हैं।

9.यदि आप सदैव आराम चाहेंगे तो आप आलसी हो जायेंगे। यदि आप सदैव प्रवीणता चाहेंगे तो आप क्रोधी हो जायेंगे और यदि आप सदैव अमीर बनना चाहेंगे तो आप लालची हो जायेंगे।

10.बुद्धिमान वो है जो दूसरों की गलतियों से सीखता है। कम ज्ञानी वो है जो अपनी गलतियों से सीखता है। और अज्ञानी वो है जो बार-बार वही गलती दोहराता है पर कुछ भी नहीं सीखता है।

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