योगी के हिंदुत्व को मेरठ से मिली चुनौती, मुस्लिम पार्षदों ने किया भारत माता का अपमान

योगी के हिंदुत्व को लखनऊ। निगम बोर्ड बैठक में कुछ मुस्लिम पार्षदों ने हमेशा की तरह वंदे मातरम शुरू होते ही सदन से वॉकआउट कर दिया था। बीजेपी पार्षदों ने राष्ट्रगीत का अपमान बता उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। मेयर हरिकांत अहलुवालिया ने भी वंदे मातरम के दौरान बैठक छोड़कर जाने वालों की सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव पास करने का दावा कर दिया था। जिसके बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा था।

सोमवार को बैठक का समय सुबह 11 बजे तय था। लगभग 45 मिनट सभी पार्षदों के आने की प्रतीक्षा की गई। पिछली बार जिन मुस्लिम पार्षदों ने वंदे मातरम का विरोध किया था उनमें से तीन कार्यकारिणी के सदस्य हैं।

उनको बैठक में आना था, लेकिन काफी प्रतीक्षा के बाद भी वे नहीं पहुंचे। इसके बाद वंदे मातरम का गान हुआ। वंदे मातरम समाप्त होते ही पार्षद शाहिद अब्बासी, आरिफ अंसारी और आदिल सदन में पहुंच गए। इसके बाद बैठक शुरू हुई।

मेरठ में नगर निगम बजट कार्यकारिणी की बैठक के दौरान मुस्लिम पार्षदों ने वंदे मातरम का बहिष्कार किया। सभी मुस्लिम पार्षद वंदे मातरम गाने के वक्त सदन से बाहर खड़े रहे। मुस्लिम पार्षदों ने कहा कि उनका धर्म वंदे मातरम कहने क इजाजत नहीं देता।

योगी आदित्यनाथ ने वंदे मातरम पर विवाद को बताया छोटी सोच

मेरठ, इलाहाबाद सहित यूपी के कई नगर निगमों में वंदे मातरम को लेकर हुए विवाद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संकीर्ण मानसिकता करार दिया है।

राजभवन में ‘द गवर्नर्स गाइड’ किताब का विमोचन करते हुए योगी ने कहा, ‘हम 21वीं सदी में भारत को आगे ले जाना चाहते हैं, लेकिन विवाद है कि हम राष्ट्रगान-राष्ट्रगीत गाएंगे कि नहीं। यह चिंता का विषय है। यह संकीर्णता को दिखाता है।’

मालूम हो कि इलाहाबाद नगर निगम में भी बीजेपी पार्षदों ने कार्यवाही की शुरुआत में राष्ट्रगीत गायन को अनिवार्य बनाए जाने के प्रस्ताव रखा तो समाजवादी पार्टी के पार्षदों ने विरोध किया। बरेली और वाराणसी में भी इसी मुद्दे पर विवाद हुआ।

मामले में महापौर नगर निगम मेरठ हरिकांत अहलुवालिया ने कहा कि मैंने सदन में राष्ट्रगीत का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसका असर कार्यकारिणी की बैठक में देखने को मिला।

कोई भी राष्ट्रगीत का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। भारतीय संविधान में राष्ट्रगीत को राष्ट्रगान के समान ही सम्मान का दर्जा दिया गया है, चाहे सदन हो या सड़क राष्ट्रगीत का अपमान किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सपा पार्षद शाहिद अब्बासी  ने मामले में कहा कि हम किसी विवाद में पड़ना नहीं चाहते इसलिए राष्ट्रगीत के समय सदन में मौजूद ही नहीं थे। राष्ट्रगीत का गान करने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता। राष्ट्रगान के समय सभी लोग मौजूद रहते हैं और राष्ट्रगान गाते भी हैं, क्योंकि राष्ट्रगान का सम्मान करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।

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