यूपी सरकार का झूठ आया सामने, इंटेलिजेंस ने 80 बार किया था आगाह!

यूपी सरकारलखनऊ। मथुरा हिंसा को लेकर सपा सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े होते रहे हैं। अब एक न्यूज़ चैनल के स्टिंग में यूपी सरकार की बड़ी लापरवाही उजागर होती दिख रही है।

स्टिंग के मुताबिक इंटेलिजेंस ने जवाहरबाग के हालात पर 80 बार अपनी विस्तृत रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन अखिलेश यादव सरकार ने हर बार इसे नजरअंदाज कर दिया।

मथुरा के जवाहरबाग में दो जून को हुई हिंसा में दो पुलिस अफसरों समेत 29 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद आरोप-प्रत्यारोप के बीच सवालों के घेरे में यूपी सरकार भी है।

इससे पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि यह घटना इंटेलिजेंस का फेल्योर के चलते हुई। लेकिन चैनल के स्टिंग में सब साफ होता नजर आ रहा है।

यूपी सरकार स्टिंग में बेनकाब!

मथुरा हिंसा पर न्यूज़ चैनल के स्टिंग में मथुरा कांड की परत दर परत खोलकर खुलती नजर आ रही हैं। स्टिंग में सामने आया कि 250 एकड़ जमीन पर कैसे एक बीज हिंसा का राम‘वृक्ष’ बन गया।

स्टिंग में एलआइयू इंस्पेक्टर ने बताया है कि रामवृक्ष यादव के साथ ही उसके सभी हथियारबंद गुर्गों के बारे में एलआइयू ने सरकार को विस्तृत रिपोर्ट दी थी। साथ ही घटना के एक दिन पहले ही बड़ी घटना की आशंका जाहिर करने की रिपोर्ट भी शासन को भेज दी गई थी।

स्टिंग में साफ हो रहा है कि लोकल इंटेलिजेंस ने हर छोटी-बड़ी बात सरकार तक पहुंचाई थी, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। स्टिंग के अनुसार सरकार को मथुरा के इंजेलिजेंस यूनिट प्रमुख मुन्नी लाल गौर ने इनपुट भेजे थे। इंटेलिजेंस यूनिट में गौर बतौर इंस्पेक्टर 2012 से मथुरा में तैनात है।

स्टिंग में गौर ने बताया कि हमने सरकार को पूरे 80 बार जवाहरबाग से जुड़े इनपुट भेजे थे। सब लिखा-पढ़ी में है। करीब 250-300 पन्नों की रिपोर्ट है। एक महीने में कभी चार तो कभी पांच बार रिपोर्ट भेजी। जैसी परिस्थितियां आईं, वैसे मैं लिख कर भेजता रहा। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

इंस्पेक्टर गौर ने बताया कि उनकी तरफ से यूपी सरकार और शासन दोनों को चेताया गया कि मथुरा का जवाहरबाग बारूद के ढेर पर है। स्टिंग के दौरान ही गौर ने वो रिपोर्ट भी दिखाई, जिसे अखिलेश सरकार को भेजा गया था।

इसमें लिखा है कि सत्याग्रहियों के पास अवैध असलहे हैं, जिनका प्रयोग करने में वे नहीं चूकेंगे। वर्तमान में जवाहरबाग में जमे सत्याग्रही प्रशासन से लड़ने को तैयार हैं। अगर कार्रवाई करनी है तो पर्याप्त संख्या में पुलिस बल ले जाना होगा, वरना बात बिगड़ भी सकती है।

एलआइयू इंस्पेक्टर गौर ने एक जून को यह रिपोर्ट मथुरा के डीएम व एसएसपी के साथ गृह सचिव को भी भेजी। ऐसी 15 रिपोर्ट भेजी गईं, जिसे डीएम ने शासन को भेजा था। इनमें एक रिपोर्ट में मथुरा में पुलिसवालों से मारपीट का भी जिक्र है। दो जून को हुई हिंसा से एक दिन पहले भी सरकार को चेताया गया था।

मथुरा के खुफिया विभाग ने जवाहरबाग की घर हरकत नजर रखी और इसकी सूचना शासन को देते रहे। जवाहरबाग में तैनात सब इंस्पेक्टर सुनील कुमार तोमर ने देखा था कि रामवृक्ष के गुर्गे खुलेआम तमंचे लेकर चलते हैं। मथुरा पुलिस सिर्फ जवाहरबाग की पहरेदारी के लिए तैनात थी। पुलिस को किसी भी तरह का एक्शन लेने की इजाजत नहीं थी।

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