कल मनाई जाएगी मोहिनी एकादशी, इस तरह से व्रत रखने से मिलेगा पूरे संसार का सुख

भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए अमृत को देवताओं को वितरित करने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए मोहिनी एकादशी का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। मोहिनी एकादशी एकादशी तिथि 14 मई को दोपहर 12.59 बजे से प्रारंभ होकर 15 मई सुबह 10.36 बजे तक रहेगी। व्रत का समय 15 को सुबह 5.28 बजे से 16 मई को सुबह 8.02 बजे तक रहेगा।

मोहिनी एकादशी
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत को पाने के लिए देवताओं और असुरों में घमासान हो गया। ताकत के बल पर देवतागण असुरों को हरा नहीं सकते थे। इसलिए चालाकी से भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर असुरों को अपने मोहपाश में बांध लिया और सारा अमृत पान देवताओं को करवा दिया। अमृत पीने से देवताओं ने अमरत्व प्राप्त कर लिया। इस कारण इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।

एकादशी व्रत करने से मिलता है दुखों से छुटकारा

मोहिनी एकादशी का व्रत करने से दुखों अौर पाप कर्मों से मनुष्य को छुटकारा मिलता है। मान्यता है कि माता सीता के विरह से पीड़ित प्रभु श्रीराम ने और महाभारत काल मे युधिष्टिर ने भी अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत विधि विधान से किया था।

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सूर्य वृषभ संक्रांति

15 मई को सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष से शुक्रदेव की वृषभ राशि में सुबह 11.18 बजे गोचर करेंगे। सूर्य ग्रह ब्रह्मांड के एक जीवंत ग्रह के तौर पर जाने जाते हैं। सूर्य देव को हम अपनी आंखों से देख सकते हैं। सूर्य देव का प्रभाव हमारे शरीर व वातावरण पर सीधा पड़ता है। सूर्य देव का राशि परिवर्तन करना महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना माना जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है और इस परिवर्तन को वृषभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

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