‘मोदी सरकार’ ने ही बढ़ा दिया मोदी का सिरदर्द, मिला ऐसा जख्म जिसे भरने में जा सकती है कुर्सी!

मोदी सरकारनई दिल्ली। केंद्र सरकार के एक खुलासे ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। अभी तक विपक्ष इस बात का आरोप लगाता चला आया है कि मोदी सरकार के आने के बाद से ही देश में जातिगत हिंसा और गौरक्षा के नाम पर हिन्दू आंतकवाद को बढ़ावा मिला है। वहीं पीएम मोदी इस बात का हमेशा से खंडन करते हुए इस मामले में अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। लेकिन 25 जुलाई, मंगलवार को मोदी सरकार द्वारा लोक सभा में पेश किए गए आंकड़ों ने सारी पोल खोल के रख दी।

प्रभु की रेल में अजब कारनामा, आर्डर की बिरयानी खाने को मिली छिपकली

दूसरी ओर भाजपा और एनडीए उमीदवार रामनाथ कोविंद की जीत और राष्ट्रपति पद पर नियुक्त होने के पश्चात संसद में लगने वाले “जय श्री राम” के नारे पर सोशल वर्कर कविता कृष्णन द्वारा उठाया गया सवाल (क्या भारत हिन्दू राष्ट्र बन गया है?) भी मोदी सरकार को निशाने पर ले रहा है।

इससे पहले भी देश में यूपी विधानसभा में भाजपा की प्रचंड जीत पर ऐसा ही कुछ नजारा सामने आया था।

उस वक्त बात को कुछ इस तरह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहकर टाल दिया कि यह लोगों की खुशी की जयकार है। इसमें वे कुछ नहीं कर सकते।

पीएम मोदी भले ही इस बात से हमेशा अपना पल्ला झाड़ते आए हैं कि वह किसी धर्म विशेष की ओर झुकाव नहीं रखते। प्राधानमंत्री जैसे गौरवान्वित पद की गरिमा भलीभांति समझते हैं। हिन्दू और मुस्लिम में धर्म के नाम पर वे कभी भी भेदभाव की भावना को नहीं आने देते।

बता दें संसद के सेंट्रल हॉल में मंगलवार (25 जुलाई) को रामनाथ कोविंद की शपथ के बाद जय श्री राम के नारे लगे।

इसपर सोशल वर्कर कविता कृष्णन ने ट्वीट किया। कविता ने उससे जुड़ी एक खबर का लिंक शेयर करते हुए पूछा कि क्या बीजेपी को लगता है कि भारत हिंदू राष्ट्र बन गया है?

नीतीश और किंगमेकर ने मिलकर तोड़ी पीएम मोदी की कमर, बरकरार रहेगा तेजस्वी का तेज

उनके इस ट्वीट पर लोगों ने उनको जमकर सुनाया। एक ने कहा कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है। दूसरे ने लिखा कि इसमें कविता को शक है क्या?

अगले ने लिखा कि बिना हिंदुओं के भारत की परिकल्पना संभव नहीं और भारत मे रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है और सभी के वंशज एक हैं।

कुछ और ट्वीट भी आए। एक ने कविता से पूछा कि वह कौन से काल में जी रही हैं? भारत तो काफी वक्त से हिंदू राष्ट्र है।

उस शख्स ने कविता को बताया कि अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक हिंदू थे उन्हें जाकर वहां हिंदूवाद को खोज लेना चाहिए। एक ने लिखा कि भारत के लोग राम को मानते हैं नकस्लवादियों को नहीं।

अगले ने कहा कि भारत में राम बसते हैं इसलिए कविता, राणा अय्यूब, पूनावाला, डी राजा और सीताराम येचूरी जैसे लोगों को रहने दिया जा रहा है।

अब बात करें अगर लोक सभा में पेश किए गए आंकड़ों की तो मोदी सरकार ने ही जानकारी दी कि पिछले तीन सालों में सांप्रदायिक, जातीय और नस्ली हिंसा को बढ़ावा देने वाली घटनाओं में 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

गृह राज्य मंत्री गंगाराम अहिरवार द्वारा सदन में पेश की गई राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में धर्म, नस्ल या जन्मस्थान को लेकर हुए विभिन्न समुदायों में हुई हिंसा की 336 घटनाएं हुई थीं।

योगी सरकार के हाथों में पहुंचा 1.78 शिक्षामित्रों के भाग्‍य का फैसला, न्‍याय का इंतजार शुरू

साल 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 475 हो गई। अहिरवार एक गौरक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा और सरकार द्वारा उन पर रोक लगाने से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

राज्य गृह मंत्री अहिरवार ने सदन में कहा कि सरकार के पास गौरक्षकों से जुड़ी हिंसा का आंकड़ा नहीं है लेकिन सांप्रदायिक, जातीय या नस्ली विद्वेष को बढ़ाने वाली हिंसक घटनाओं का आंकड़ा मौजूद है। मंत्री अहिरवार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार राज्यों में ऐसी घटनाओं में 49 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।

साल 2014 में राज्यों में 318 ऐसी घटनाएं हुई थीं जो साल 2016 में बढ़कर 474 हो गईं। वहीं दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी घटनाओं में भारी की कमी आई। राजधानी और केंद्र शासित प्रदेशों में साल 2014 में ऐसी हिंसा की 18 घटनाएं हुई थीं लेकिन साल 2016 में ऐसी केवल एक घटना हुई।

उत्तर प्रदेश में सांप्रादायिक, जातीय और नस्ली विभेद को बढ़ावा देने वाली हिंसक घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई।

यूपी में तीन सालों में ऐसी घटनाएं 346 प्रतिशत बढ़ीं। साल 2014 में यूपी में ऐसी 26 घटनाएं हुई थीं तो साल 2016 में ऐसी 116 घटनाएं हुईं।

उत्तराखंड में साल 2014 में ऐसी केवल चार घटनाएं हुई थीं लेकिन साल 2016 में राज्य में ऐसी 22 घटनाएं हुईं। यानी उत्तराखंड में ऐसी घटनाओं में 450 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

लालू के करीबी ने नीतीश पर साधा निशाना, कहा- भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ महज ढोंग

पश्चिम बंगाल में साल 2014 में ऐसी हिंसा की 20 घटनाएं दर्ज हुई थीं, वहीं साल 2016 में 165 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ ऐसी 53 घटनाएं दर्ज हुईं।

मध्य प्रदेश में 2014 में पांच तो 2016 में 26 ऐसी घटनाएं हुई थीं। हरियाणा में 2014 में तीन और 2016 में 16 ऐसी घटनाएं हुई थीं।

बिहार में साल 2014 में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी लेकिन 2016 में ऐसी आठ घटनाएं हुईं। अहिरवार ने संसद में बताया कि केंद्र सरकार मॉब लिंचिंग के खिलाफ कोई नया कड़ा कानून बनाने पर विचार नहीं कर रही है।

यह आंकड़े और देश में बढ़ती हिंसा की घटनाएं कहीं न कहीं इस बात का खुलासा कर रही हैं, जिसे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के सत्ता संभालने के बाद बल मिला।

इसके साथ ही यह भी बढ़ा सवाल उठता है कि यदि पीएम मोदी धर्मवाद और जातिवात से खुद को प्रथक बताते हैं तो तीन साल से अधिक समय सत्ता में बिताने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया।

देखें वीडियो :-

LIVE TV