मोदी सरकार के आते ही देश में आपातकाल से भी बदतर हालात पैदा हो गए

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं को तर्कसंगत बनाने की हाल में की गईं सिफारिशें एकतरफा हैं। उन्होंने कहा  मोदी सरकार तानाशाह जैसी है।  आश्चर्य जताया कि क्या भारत में राष्ट्रपति प्रणाली वाली सरकार है? ममता ने कहा कि भाजपा के प्रभुत्व वाले मुख्यमंत्रियों के उपसमूह ने सीसीएस को तर्कसंगत बनाने की जो सिफारिश की है, वह संघीय स्वरूप पर पर हमला है।

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उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आते ही देश में आपातकाल से भी बदतर हालात पैदा हो गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, “केंद्र सरकार ने एक पत्र भेजा है जिसमें घोषणा की गई है कि संस्तुतियों को लागू कर दिया गया है।”

ममता ने सहयोगी संघवाद का उल्लेख करते हुए कहा, “वे वास्तव में राज्यों एवं लोकतंत्र को भयभीत कर रहे हैं। यह कुछ और नहीं, तानाशाही है। मैं जानना चाहती हूं कि क्या वे लोग देश में राष्ट्रपति प्रणाली वाली सरकार चला रहे हैं?”

नाराज ममता ने नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिग इंडिया (नीति) आयोग का पत्र लहराते हुए मीडिया कर्मियों से यह बात कही।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इससे पहले इस माह सीसीएस के न्यायसंगत बनाने की प्रमुख संस्तुतियों को स्वीकार कर लिया है। इनमें कें द्र और राज्यों के बीच धन की हिस्सेदारी के तरीके में बदलाव सहित कुल योजनाओं की अधिकतम संख्या 30 तक रखने की संस्तुति की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा, “मैंने अब तक इतनी घमंडी सरकार नहीं देखी। यही कारण है कि जम्मू एवं कश्मीर और पाकिस्तान का मुद्दा भी तबाही का रूप लेता जा रहा है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कदम के पीछे मकसद उन राज्यों को वंचित कर देना है, जहां भाजपा सत्ता में नहीं है।

ममता ने कहा, “उन लोगों ने एक सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली बनाई है, जिसका मकसद राज्यों द्वारा किए जा रहे खर्च पर नजर रखना है। मैं पूछना चाहती हूं कि वे राज्य के खजाने पर नजर क्यों रखना चाहते हैं? मीडिया से लेकर शिक्षा तक, केंद्र सरकार हर चीज को नियंत्रित करना चाहती है। वे एक चुनी हुई सरकार को अपने नियंत्रित में लेने का प्रयास कर रहे हैं।”

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार की भेदभाव वाली कार्रवाई के खिलाफ राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की गुहार लगाई जाएगी।

उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र को रोकने का खतरनाक लाल संकेत है। हमलोग राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग करेंगे और लोकतंत्र और संघीय स्वरूप पर केंद्र सरकार के लगातार हमले के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन भी किया जाएगा।”

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