एक संत ने मोदी के खिलाफ कर दी सबसे गंदी भविष्यवाणी!

मोदी की आलोचनाखटीमा| धर्मनगरी वृंदावन के प्रबुद्ध संत एवं विचारक महामंडलेश्वर स्वामी अवशेषानंद ने यहां गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि ‘पहेलीनुमा जुमलेबाजी’ से उन्हें गहरी निराशा हुई है, मोदी को स्तरहीन बयान देने से बचना चाहिए और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पद-चिन्हों पर चलकर आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए।

मोदी की आलोचना

स्वामी ने प्रधानमंत्री को स्मरण दिलाया कि उन्हीं की पार्टी के वाजपेयी उनके आदर्श होने चाहिए, जिन्होंने छह दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में शायद ही कभी कोई विवादास्पद या स्तरहीन बयान दिया हो। अपने इन्हीं गुणों की बदौलत उन्होंने अत्यंत विषम परिस्थितियों में 22 दलों की गठबंधन सरकार का सात वर्ष तक सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।

महामंडलेश्वर ने कहा कि मेरठ की एक चुनावी सभा में बीते शनिवार को मोदी ने जो पहेलीनुमा जुमलेबाजी की, उससे उन्हें निराशा हुई है। मोदी ने घोटाले के अंग्रेजी पर्यायवाची ‘स्कैम’ के प्रत्येक अक्षर से विपक्षी पार्टी या विपक्षी नेता को जोड़ा है। स्कैम के ‘एस’ से उन्होंने समाजवादी पार्टी, ‘सी’ से कांग्रेस, ‘ए’ से अखिलेश यानी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और ‘एम’ से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को जोड़ा है।

स्वामी ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति को शब्दों का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए और उनकी हर बात अकाट्य होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऐसी जुमलेबाजी से मोदी प्रतिष्ठा बढ़ती नहीं, घटती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो लगे हाथ ही प्रधानमंत्री के जुमले को बदलकर उसमें उल्टे उन्हीं का नाम घसीट लिया। अखिलेश ने स्कैम के ‘ए’ से स्वयं को अलग करके भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का और ‘एम’ से मायावती को मुक्त करके मोदी का नाम जोड़ दिया। इससे बड़ी हास्यास्पद स्थिति पैदा हो गई। ऐसे में प्रधानमंत्री की इज्जत कहां रही?

स्वामी अवशेषानंद ने कहा कि अखिलेश ने रविवार को फिर इस जुमलेबाजी पर चुटकी लेते हुए इसकी नई व्याख्या करके कहा कि इसका मतलब है, “सेव दि कंट्री फ्रॉम अमित-मोदी’ यानी ‘देश को अमित शाह व मोदी से बचाओ।’ यह भी दिलचस्प संयोग है कि उसी दिन हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी स्कैम की बिल्कुल यही व्याख्या करके प्रधानमंत्री के जुमले का मजाक उड़ाया।”

उन्होंने कहा कि मोदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि 1971 के बंग्लादेश की आजादी के लिए पाकिस्तान से युद्ध के दौरान वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘दुर्गा का अवतार’ कहकर महिमा मंडित किया था। इससे वाजपेयी की प्रतिष्ठा नहीं चली गई।

अवशेषानंद ने कहा कि वाजपेयी जैसे नेता ही ऐसा कह सकते हैं, अन्यथा आजकल के ज्यादातर नेता तो विरोध के लिए विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री के हाथ मजबूत करना और उनका हौसला बढ़ाना जरूरी था। इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए थी। इसलिए वाजपेयी ने ऐसा बयान दिया था।

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