स्वास्थ्य विभाग में दो करोड़ की धांधली, नीचे से ऊपर तक गड़बड़ी

मेरठ में स्वास्थ्य विभागमेरठ। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी घोटाला कर सरकारी पैसे को अपनी ही जेबों में भरने का प्रयास करते रहते हैं। अब चाहे वो दवा का मामला हो या सामान की खरीद का मामला, कोई न कोई धांधली सामने आ ही जाती है। बीते वित्तीय वर्ष में भी सरकारी धन के उपयोग में ऐसी ही भारी धांधली सामने आई है, जिसको लेकर ऑडिट टीम ने मेरठ में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। खासकर नेशनल हेल्थ मिशन के तहत करीब दो करोड़ रुपये से अधिक की दवाएं, फर्नीचर व अन्य सामान बिना जिला अधिकारी और जिला स्वास्थ्य समिति (डीएचएस) की स्वीकृति से खरीदने का मामला सामने आया है। ऑडिट के दौरान निचले स्तर से लेकर ऊपर तक भारी गड़बड़ी मिली है।

मेरठ में स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल

मेरठ में स्वास्थ्य विभाग ने लूट के लिए अपनी पसंदीदा फर्मों को नियमों से विपरीत जाते हुए काम सौंपा। सूत्रों का कहना है कि जो फर्म तकनीकी प्वाइंट से टेंडर की शर्तों से बाहर हो गई थीं, उन्हें भी साल 2015-16 के दौरान सीएचसी, जिला मलेरिया, जिला क्षय रोग और टीकाकरण का काम सौंपा गया। खासकर मुजफ्फरनगर की एक और मेरठ की दो फर्मों के टेंडर से बाहर होने के बाद भी काम दिये जाने पर टीम ने कारण पूछा है।
ये वही तीनों फर्म हैं, जिनका काम संदेहास्पद होने के कारण पूर्व डिप्टी सीएमओ डॉ. केसी तिवारी ने मार्च में पांच लाख रुपये के बिलों पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। उधर, टीम ने बिना जिला स्वास्थ्य समिति की मंजूरी के करीब दो करोड़ रुपये से ऊपर की दवाओं से लेकर फर्नीचर खरीदे जाने का मामला पकड़ा है, जिसे लेकर टीम ने लिखित में जवाब मांगा है।

एनएचएम के टेंडर में फेल होने पर भी दिया पल्स पोलियो का काम

मार्च महीने में तीनों फर्म टेंडर प्रक्रिया में फेल हो गई थीं, क्योंकि इन फर्मों के पास न अपनी कोई प्रिंटिंग प्रेस थी और न सेल्स टैक्स विभाग का पंजीकरण था। ऐसी स्थिति में फर्मों को नीचे स्तर पर काम दिया गया। इसके साथ ही नेशनल हेल्थ मिशन के साथ चलने वाले प्रोग्राम का काम डायरेक्ट व कोटेशन के तौर पर दिया गया। दरअसल नियम के तहत एक लाख से ऊपर का काम टेंडर के जरिये कराया जाता है और 20 हजार रुपये का काम डायरेक्ट कराया जा सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने पल्स पोलियो से जुड़ा प्रिंटिंग का काम व अन्य सामान की सप्लाई का काम कोटेशन और डायरेक्ट तौर पर दिया, जिस पर टीम ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए जवाब मांगा है।

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