नोटबंदी : लम्‍बे आराम के लिए छोटा दर्द  

चेन्नई। सरकार द्वारा 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों के चलन से बाहर करने से कर संग्रहण, सरकार द्वारा पूंजीगत खर्च और वित्तीय समावेशन में इजाफा होगा। यह मूडीज इंवेस्टर सर्विस का कहना है।

मूडीज

मूडीज ने गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि नोटबंदी अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा लाभ बैंकों को होगा।

मूडीज सॉवेरियन ग्रुप के संयुक्त प्रबंध निदेशक मैरी डिरोन ने कहा, “हालांकि नोटबंदी से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) पर दबाव पड़ेगा, जिससे सरकार के राजस्व में भी कमी आएगी। लेकिन दीर्घकालिक अवधि में यह कर संग्रहण को बढ़ावा देगा, जिससे सरकार पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी कर सकेगी और तेजी से वित्तीय समावेशन का लक्ष्य पूरा कर सकेगी।”

मूडीज कॉरपोरेट फाइनेंस ग्रुप की प्रंबध निदेशक लौरा एक्रेस ने कहा, “कॉरपोरेट कंपनियों की आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आएगी, क्योंकि नकदी की कमी से बिक्री की मात्रा गिरेगी। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित खुदरा विक्रेता होंगे।”

वहीं, मध्यम अवधि में नोटबंदी का कॉरपोरेट पर असर इस बात से निर्धारित होगा कि बाजार में वापस कितनी तेजी से तरलता आती है और लेनदेन का प्रवाह वापस पहले जितना होता है।

सरकार पहले जितने नोट वापस बाजार में लौटने से रोक सकती है, ताकि कैशलेस लेनदेन और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जा सके।

इससे भारत में व्यापार का माहौल सुधरेगा। इससे उत्पादकों तक तेजी से भुगतान पहुंचेगा और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी। लेकिन इससे देर तक अर्थव्यवस्था में व्यवधान पैदा होगा।

भारत में अभी भी व्यापक तौर पर नकदी का इस्तेमाल होता है और डिजिटल भुगतान की तरफ बढ़ने के लिए उपभोक्ता की आदतों में बदलाव की जरूरत होगी।

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