मुस्‍लिम समाज खुद कट्टर, लेकिन पूरी दुनिया सेक्‍युलर चाहिए…

मुस्‍लिम समाजनई दिल्‍ली। कुछ अरसा पहले मशहूर लेखक-गीतकार प्रसून जोशी का एक लेख ‘मजाक का विषय नहीं है राजनीति’ पढ़ा था, जो हमारे देश की राजनीति पर खरा उतरता है। प्रसूनजी का कहना था कि हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने पर गर्व करते हैं। लेकिन क्या हमें सरकार, राज्य और राजा के बीच फर्क पता है? निस्संदेह यदि मतदाताओं को सही-गलत की समझ नहीं है, तो उनके वोट की कोई कीमत नहीं है। आज दुख की बात यह है कि हमारी युवा पीढ़ी ने अपने-अपने नायक खोज लिए हैं। चाहे वे मशहूर क्रिकेटर हों या फिल्म अभिनेता।

इसी प्रकार आज राजनीति के क्षेत्र में भी मोदी, योगी या राहुल गांधी में नायकत्व की तलाश जारी है। लेकिन देश का सच्चा नायक वह है जो जनता की तकलीफों के प्रति संवेदनशील हो और उसके लिए कुछ करने के लिए उसकी आत्मा बेचैन हो। कुछ साल पहले खंडित नायकों के इस दौर में अण्णा हजारे गरीब-गुरबों की एक उम्मीद बनकर आए थे मगर दुख की बात है कि अवसर वादियों ने उन्हें परिदृश्य में धकेल दिया।

पैगंबर हजरत मोहम्मद जब भी नमाज पढ़ने मस्जिद जाते तो उन्हें रोजाना एक वृद्धा के घर के सामने से निकलना पड़ता था। वह वृद्धा अशिष्ट, कर्कश और क्रोधी स्वभाव की थी। जब भी मोहम्मद साहब उधर से निकलते, वह उन पर कूड़ा-करकट फेंक दिया करती थी। मोहम्मद साहब बगैर कुछ कहे अपने कपड़ों से कूड़ा झाड़ कर आगे बढ़ जाते। प्रतिदिन की तरह जब वे एक दिन उधर से गुजरे तो उन पर कूड़ा आकर नहीं गिरा। उन्हें कुछ हैरानी हुई, लेकिन वे आगे बढ़ गए।

अगले दिन फिर ऐसा ही हुआ तो मोहम्मद साहब से रहा नहीं गया। उन्होंने दरवाजे पर दस्तक दी। वृद्धा ने दरवाजा खोला। दो ही दिन में बीमारी के कारण वह अत्यंत दुर्बल हो गई थी। मोहम्मद साहब उसकी बीमारी की बात सुन कर हकीम को बुला कर लाए और उसकी दवा आदि की व्यवस्था की। उनकी सेवा और देखभाल से वृद्धा शीघ्र ही स्वस्थ हो गई।

अंतिम दिन जब वह अपने बिस्तर से उठ बैठी तो मोहम्मद साहब ने कहा- अपनी दवाएं लेती रहना और मेरी जरूरत हो तो मुझे बुला लेना। वृद्धा रोने लगी। मोहम्मद साहब ने उससे रोने का कारण पूछा तो वह बोली, क्या मेरे दुर्व्यवहार के लिए मुझे माफ कर दोगे? वे हंसते हुए कहने लगे- भूल जाओ सब कुछ और अपनी तबीयत सुधारो। वृद्धा बोली- मैं क्या सुधारूंगी तबीयत? तुमने तबीयत के साथ-साथ मुझे भी सुधार दिया है। तुमने अपने प्रेम और पवित्रता से मुझे सही मार्ग दिखाया है। मैं आजीवन तुम्हारी अहसानमंद रहूंगी।

घटना का संदेश है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद खुद निजी जिंदगी में कैसे थे! क्या उन्होंने अपने अपमान के लिए किसी को सजा दी? मगर आज उनके अनुयायी कैसे हैं! पाकिस्तान में एक नौजवान को ईशनिंदा के नाम पर मार दिया गया। अगर उस पर तुम आज चुप हो तो फिर इखलाक पर या पहलू खान पर बोलने का नैतिक आधार नहीं है आपको। हमारा मुसलिम समाज दोगलों से भरा है जो खुद तो कट्टर रहेगा, सांप्रदायिक रहेगा लेकिन बाकी पूरी दुनिया इसे सेक्युलर और उदार चाहिए।

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