मुर्दों के लिए सबसे बड़ा कब्रिस्तान साबित होगा फेसबुक

facebook_landscape_1457267243एजेंसी/आभासी दुनिया का दायरा जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे आने वाले दिनों में यह कई मामलों में यथार्थ की दुनिया को भी पीछे छोड़ देगी। इस मामले में एक उदाहरण फेसबुक का है, जिसके बारे में अमेरिका में एक शोधकर्ता ने दिलचस्प आंकड़े जारी किए हैं।

इसमें कहा गया है कि जिस तरह से फेसबुक यूजर्स की दिनोंदिन तादाद बढ़ रही है, उसे देखते हुए सदी के अंत तक जिंदा यूजर्स के मुकाबले मुर्दे यूजर्स की संख्या काफी बढ़ जाएगी। यानी 2098 तक फेसबुक मुर्दों के लिए सबसे बड़ा कब्रिस्तान साबित होगा। क्योंकि फेसबुक ने मरे हुए यूजर्स का अकाउंट डिलीट करने से इंकार कर दिया है।

अखबार मेट्रो की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल नेटवर्किंग साइट के एक एक्सपर्ट ने अपने आंकड़ों के आधार पर यह दावा किया है। मौजूदा समय में फेसबुक के दुनिया भर में डेढ़ अरब यूजर्स हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मेसाच्यूसेट्स के सांख्यिकी विभाग में पीएचडी कर रहे शोधार्थी हाकिम सिद्दिकी के मुताबिक, 2098 तक फेसबुक दुनिया का सबसे बड़ा आभासी कब्रिस्तान साबित होगा।

उनका यह निष्कर्ष इस बात पर निर्भर है कि फेसबुक मृत लोगों के अकाउंट डिलीट नहीं करता, जबकि इस पर नए यूजर्स की संख्या आने वाले दिनों में धीरे-धीरे कम हो जाएगी। हालांकि फेसबुक की इस व्यवस्था का विरोध भी हो रहा है। डिजिटल बियांड कंपनी के मुताबिक, इस साल 9,70,000 फेसबुक यूजर्स की मौत हो जाएगी। जबकि 2012 में यह आंकड़ा करीब छह लाख था।

फेसबुक की पॉलिसी के मुताबिक, जब किसी यूजर्स की मौत हो जाती है, तो उसका अकाउंट डिलीट होने के बजाय उस पेज का मेमोरीलाइज्ड वर्जन बन जाता है। मौजूदा व्यवस्था में मृत यूजर्स का अकाउंट तभी डिलीट हो सकता है, जब उसका पासवर्ड किसी को याद हो और जो उसका लॉगिन करके फिर उसे बंद कर सके।

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