मायावती को सता रहा है जड़ों से कटने का दुख, कर सकती हैं ये बदलाव!

लखनऊ। मायावती बेहद परेशान हैं। लगातार दरकते वोट बैंक को देखते हुए वे अब आमूलचूल बदलाव की दिशा में काम कर रही हैं। हाल ही में आयोजित बसपा पदाधिकारियों की बैठक में उन्होंने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं। मायावती का सबसे बड़ा फोकस अपने दलित वोट बैंक को वापिस खींचना है। वे अब खांटी दलित राजनीति की दिशा में लौटने की कवायद में हैं।

समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ चुकी मायावती अब कांग्रेस को भी अलविदा करने के मूड में हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीएसपी ने कांग्रेस को समर्थन दिया हुआ है। मायावती ने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में इस बात के साफ संकेत दिए कि बीएसपी का वोटबैंक दरकाने में उसके सहयोगियों की बड़ी भूमिका है। उनके चलते वोटर कंफ्यूज हो रहा है।

यूपी में समाजवादी पार्टी को साथ लेने से भी ये कोर वोटबैंक काफी नाराज हुआ है। कांग्रेस को सहयोग देने का भी यही नतीजा है। बीेएसपी का फायदा न के बराबर है, उल्टा सहयोगी पार्टियां पूरा फायदा उठा ले जा रही हैं।

मायावती जाटव वोटरों को बेस बनाकर आगे बढ़ने के मूड में हैं। इस बेस वोटबैंक की नींव पर दूसरी जातियों को क्रमवार जोड़ा जाएगा। फोकस भी उसी प्रकार होगा। मुसलमान इस समीकरण की अहम कड़ी होंगे। हाल में योगी सरकार के 17 ओबीसी जातियों को एससी कैटेगरी में शामिल करने के फैसले को मायावती टेस्ट केस बनाकर चल रही हैं।

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वे इस फैसले से आरक्षण के फायदे में होने वाली उथलपुथल को अपने हित में इस्तेमाल करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। यूपी में 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव मायावती की इस नई रणनीति का लिटमस टेस्ट होंगे।

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