मां का दर्द, मेरा बेटा फिर से स्कूल जा पाएगा ना…

mother-of-teen_1460349678एजेन्सी/शकुंतला सूनी आंखों से टकटकी लगाए अपने बेटे को देख रहीं थी। लेकिन सिर से पांव तक पट्टियों में ढँके उसके शरीर की जलन ने जैसे उसे और उसकी मां दोनों को खामोश कर दिया था। आखिर मुझे देख बोल पड़ीं, “वो हर जगह से जल गया है, शरीर का हर हिस्सा। मैं क्या करूंगी। मेरे पति ने मुझे कुछ साल पहले छोड़ दिया। औरों के घरों में काम कर पेट पालती हूं, इसका इलाज कैसे करवाऊंगी।”

14 साल का उनका बेटा शाबिर तिरुवनंतपुरम मेडिकल असपताल के बर्न्स आईसीयू में भर्ती है। डॉक्टरों के मुताबिक आईसीयू में उसके साथ भर्ती 8 लोगों में से ज्यादातर के शरीर 90 फीसदी से ज्यादा जल गए हैं। कोल्लम में मंदिर में लगी आग में घायल हुए 300 लोगों में से करीब 100 लोग राजधानी तिरुवनंतपुरम के इस अस्पताल में इलाज के लिए लाए गए हैं।

शकुंतला बताती हैं कि रविवार सुबह वो तो घर पर थीं, पर उनका बेटा मंदिर की छत से आतिशबाजी देख रहा था कि धमाका हो गया। वो कहती हैं, “डॉक्टर कुछ बताते नहीं कि अब आगे क्या होगा? मेरा शाबिर स्कूल जा पाएगा?” वार्ड में अफरा-तफरी का माहौल है। डॉक्टर और नर्स एक मरीज से दूसरे मरीज के बीच तेजी से काम कर रहे हैं।

burnt-teen_1460349823ऑक्सीजन मास्क, खून से सनी पट्टियों और मशीनों की तारों के बीच दर्द से आतंकित एक चेहरा दिखाई देता है। प्लास्टिक सर्जरी के विभाग की प्रमुख कोमल रानी बताती हैं, “अभी कुछ भी कहना मुशकिल है।”

डॉक्टर रानी के मुताबिक, “हादसे के कुछ ही घंटों में इन लोगों को यहां ले आया गया लेकिन पूरे शरीर का बड़ा हिस्सा जलने की वजह से इन सबकी हालत बहुत नाजुक बनी हुई है।”

उनके कमरे से निकलकर जब मैं बाहर आती हूं तो मेरी नजरें नीची हैं। पर एक कोने में बैठीं शकुंतला की पथराई सी आंखें मुझे ढूंढ निकालती हैं। पास जाकर उनके हाथ पर हाथ रख देती हूं। वो भी समझती हैं कि मेरे पास उनके सवाल का जवाब नहीं, बस होठों पर शाबिर के लिए दुआ है।

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