माँ की मौत के बाद अनाथ हुए बच्चों के पास नहीं है अंतिम संस्कार का पैसा

रिपोर्टअखिल श्रीवास्तव/रायबरेली

खुश नसीब है वह लोग जिन्हें मौत के बाद चार कंधे नसीब हो जाते हैं उनका अच्छे से अंतिम संस्कार व कफ़न नसीब होता है। लेकिन रायबरेली से दिल को झकझोर देने वाली मार्मिक खबर सामने आई है ।

एक बदनसीब मां की  मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए अनाथ हुए मासूमो को चंदा जुटाना पड़ रहा है। पड़े भी क्यो न वो मा जो अपने मासूमो को भीख मांग माग कर पाल पोस रही थी उसकी भी आज मौत हो गई।

आनाथ बच्चे

यही नही मासूमों के सर से एक साल पहले ही पिता का साया भी उठ चुका था। इन रोते बिलखते मासूमो को गौर से देखिए इनका नाम मिथुन, खुशबू, व रुखसान है इनकी उम्र 10,8 व 6 साल है।

इनकी माँ अंगुरन की आज सुबह बीमारी के चलते जिला अस्पताल में मौत हो गई यही नही पिता  सर्वेश का साया इन मासूमो के सर से एक साल पहले उठ गया।

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मा किसी तरह भीख मांगकर तीनो बच्चो का पालन पोषण करती थी और  रायबरेली शहर में सड़क के किनारे  अपने बच्चो के साथ रह कर जीवन यापन करती थी।

पर इन मासूमो को भी नही पता था कि आज इनके सर से मा का भी साया छीन जाएगा और यह यतीम हो जाएंगे। किसी के शरीर पर कपड़े नही तो किसी के पैर पर चप्पल यही नही खाने पीने के लिए तक के लैस नही तो अंतिम संस्कार के लिए कहा से होंगे।

जिला अस्पताल पफीसर में अपनी माँ के शव के लिए इंताजर कर रहे मासूमो की आखों को देखिए ये निहार रही है कि कोई इनकी मदद कर दे जिससे इनकी मा का अंतिम संस्कार हो सके।

रात में खाने के लिए तो भगवान बनकर डाक्टर रोशन पटेल आये और खाने के पैसे इन मासूमो को दिए पर अब इनको आस थी कि अंतिम संस्कार के लिए भी इन्हें कोई मदद करेगा और इनकी बात को लोगो ने भाँप लिया फिर क्या लोगो ने अंतिम संस्कार के लिए आगे आकर पीड़ित मासूमो को उसकी माँ के अंतिम संस्कार के लिए चंदा इकट्ठा करवाया।

सबसे बड़ी बात यह कि सरकार दावा करती है कि उसका हाथ गरीबो के साथ है पर शायद इन गरीबो पर सरकार  द्वारा दी जाने वाली कोई भी योजनाओं का लाभ नही मिल पाता अगर लाभ मिला होता तो माँ बाप का साया तो सर से इनके जरूर उठ गया पर रहने के लिए छत जरूर होती। अब देखने वाली बात यह है कि इन  यति।मासूमो  के लिए जिला प्रशासन द्वारा क्या मदद करवाई जाएगी।

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