‘महासंघ के साथ हुए करार का उल्लंघन कर रहे हैं आई-लीग क्लब’

कोलकाता। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) और आई-लीग क्लबों के बीच हुए करार के अनुच्छेद-2 के तहत आई-लीग के खत्म होने या उसे किसी अन्य लीग के साथ जोड़े जाने की स्थिति में अगर एआईएफएफ एवं क्लबों के बीच करार समाप्त कर दिया जाता है तो इसके लिए महासंघ जिम्मेदार नहीं होगा।

आई-लीग क्लब मिनर्वा पंजाब एफसी के मालिक रंजीत बजाज ने लगातार सोशल मीडिया और साक्षात्कार के दौरान दावा किया है कि महासंघ आई-लीग क्लबों के साथ भेदभाव करता है। एआईएफएफ ने कई बार इसपर बयान देकर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि बजाज महासंघ की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का प्रयास करते हैं और उन्हें इन मुद्दों पर हमसे बात करनी चाहिए।

एआईएफएफ के सीनियर अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “यह जनता को महासंघ के खिलाफ करने का एक प्रयास है। हमने उनसे गरिमा बनाए रखने की मांग की, लेकिन हमारी चुप्पी को हमारी कमजोरी नहीं समझनी चाहिए। आई-लीग क्लब एआईएफएफ के साथ हुए करार का उल्लंघन कर रहे हैं।”

आई-लीग क्लब लगातार कह रहे हैं कि अगर इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) को देश की शीर्ष लीग बनाई जाती है तो वे अदालत का रुख करेंगे। हालांकि उनके और महासंघ के बीच हुए करार में यह कहा गया है कि अगर क्लब एआईएफएफ के किसी भी निर्णय से पहले उसे लेकर कोई कदम उठाते हैं तो यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन होगा।

एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास ने कहा कि लीग के मुद्दे पर तकनीकी समिति काई भी निर्णय लेने से पहले चर्चा करेगी, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इसपर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

आईएएनएस के पास क्लबों और महासंघ के बीच हुए अनुबंध के 13 पन्नों का अनुबंध मौजूद है। इसके अनुसार, “करार के प्वाइंट 7 (जी) के तहत क्लब फुटबाल के खेल और लीग, एआईएफएफ, एएफसी या फीफा के किसी भी निर्णय के बारे में पहले से कोई कदम नहीं उठा सकता। इसके अलावा, प्वाइंट 8.2 में कहा गया है कि अगर क्लब किसी भी प्वाइंट का उल्लंघन करते हैं तो अनुबंध को समाप्त किया जा सकता है।”

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एआईएफएफ की तकनीकी समिति नौ जुलाई को बैठक करेगी और उम्मीद की जार रही है कि इस बैठक में भारतीय फुटबाल के भविष्य पर फैसला लिया जाएगा।

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