महाशिवरात्रि में पूजा करते समय नहीं रखा ध्यान तो होगा ये नुकसान…

महाशिवरात्रि का दिन देवों के देव महादेव का होता है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह के जतन करते हैं। कुछ लोग व्रत रखते हैं तो कई लोग बड़े-बड़े अनुष्ठान करते हैं।

इस खास दिन विधि-विधान से भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि महा​शिवरात्रि के दिन जितना भगवान शिव की पूजा का महत्ता है, उतना ही इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि भोलेनाथ को अप्रिय लगने वाली चीजें न करें।

ज्योतिषों के अनुसार शिव की पूजा करते वक्त भस्म, त्रिपुण्ड और रूद्राक्ष माला शरीर पर होना चाहिए। भगवान शिव की पूजा में तिल का प्रयोग नहीं करना चाहिए और चम्पा का पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए। शिव की पूजा में दूर्वा और तुलसी चढ़ाया जाता है। तुलसी में मंजरियों से पूजा अधिक श्रेष्ठ मानी जाती है।

ज्योतिष के अनुसार इस दिन शिव का व्रत करने से पापों का नाश होता है। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर दिन-रात चार पहर की पूजा का विधान है। इस दौरान शिवालयों में जलाभिषेक किया जाता है। इस खास दिन पर कुछ आसान तरीकों से शिव की पूजा करें और शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करें।

इस दिन एक बड़े पात्र में धातु से बने शिवलिंग या मिट्टी से बने शिवलिंग की स्थापना करके उसकी पूजा करना फलदायी माना जाता है। इसके अलावा भक्त शिव मंदिरों में जाकर भी शिव आराधना करें। यदि आप धातु के बने शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं तो सबसे पहले एक मिट्टी के पात्र में पानी भरकर शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरे के पुष्प और चावल आदि चढ़ाएं। जितना संभव हो महाशिवरात्रि के दिन रात में शिवपुराण का पाठ करें या सुनें क्यों ये परम फलदायी होता है। शिव को प्रसन्न करने का यह सबसे आसान तरीका माना जाता है।

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ज्योतिषों की मानें तो भगवान शिव के पूजन की तैयारी सुर्योदय से पहले ही उत्तर-पूर्व दिशा में करें। यदि कोई पूजा सामग्री नहीं मिल रही है तो केवल शुद्ध जल भगवान शिव को अर्पित करें। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन व्रत उपवास करना, शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करना, जल से शिव की पूजा करना और उन्हें जौ, तिल, खीर आदि चढ़ाकर हवन करना भी मनोकामनाओं की पूर्ति का वरदान दिलाता है।

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