महाराष्ट्र में सरकार गठन के दौरान इस बात के मिले संकेत, कांग्रेस की कमान एक बार फिर…

महाराष्ट्र। कांग्रेस पार्टी में पार्टी की कमान संभालने को लेकर फिर से सुगबुगाहट तेज हो गई है। चर्चा तेज हो गई है कि राहुल गांधी एक बार फिर से पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं। इसका संकेत महाराष्ट्र में सरकार के गठन के बाद हुआ है। आपको बता दें महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की संयुक्त सरकार है। कांग्रेस ने अपने दो नेताओं को महाराष्ट्र के मंत्री पद की शपथ दिलाई। नाना पटोले को कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए नामित किया है, साथ ही नितिन राउत को मंत्री बनाया गया है।

महाराष्ट्र में सरकार गठन

जबकि पहले मंत्रिमंडल के लिए थोराट के साथ अशोक चह्वाण और विधानसभा अध्यक्ष के लिए पृथ्वीराज चह्वाण के नामों की चर्चा तेज थी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार नितिन राउत और नाना पटोले के नाम राहुल गांधी ने दिए हैं। दोनों को ही राहुल का करीबी माना जाता है।

कांग्रेस के लिए फ्रंट फुट पर आने का वक्त

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक राहुल गांधी अब खुद भी पार्टी की कमान संभालने के इच्छुक हैं। उन्हें अहसास हो गया है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का जो फैसला किया था, वह तब के माहौल को देखते हुए लिया गया था।

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लेकिन अब जबकि अर्थव्यस्था की खस्ता हालत की वजह से मोदी सरकार का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है और जिस तरह हरियाणा में भाजपा बहुमत नहीं पा सकी और महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा, ऐसी बदली परिस्थितियों में कांग्रेस को अब विपक्ष की राजनीति में फ्रंट फुट पर आकर खेलना होगा और इसके लिए राहुल गांधी अब खुद को तैयार पा रहे हैं।

राहुल अचानक हुए आक्रामक

इसीलिए अपने अज्ञातवास से लौटते ही राहुल ने लोकसभा में सबसे पहले महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा एकाएक देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की शपथ दिलाए जाने का विरोध दर्ज कराते हुए प्रश्नकाल में सवाल पूछने से इनकार कर दिया। इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर के विवाद में भी राहुल ने आक्रामक प्रतिक्रिया दी और लोकसभा में भाजपा सांसद द्वारा विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की घोषणा के जवाब में कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं। इन दो सार्वजनिक हस्तक्षेपों से राहुल ने विपक्ष की राजनीति में खुद को फिर आगे ला दिया।

महाराष्ट्र में सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश

मुंबई कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक सरकार के गठन में राहुल गांधी के हस्तक्षेप से दो बातें साफ हैं। पहली ये कि राहुल पूरी तरह से पुराने ढांचे को बदलकर अपना नया आधार तैयार कर रहे हैं। इसीलिए अगर मराठा बाला साहेब थोराट, जो नम्र स्वभाव स्वभाव वाले हैं, को मंत्री बनाया गया तो अंबेडकरवादी बौद्ध दलित नितिन राउत को मंत्री और बेहद आक्रामक किसान नेता नाना पटोले, जो कुनबी समुदाय से आते हैं, को विधानसभा अध्यक्ष पद देकर राहुल ने सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की है।

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जबकि कांग्रेस के ज्यादातर वरिष्ठ नेता अशोक चह्वाण और पृथ्वीराज चह्वाण के नामों पर सहमत थे। लेकिन राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे के जरिए इन दोनों नामों पर मुहर लगवाई।

वेणुगोपाल के नाम पर किया वीटो

कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता का कहना है कि भले ही सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं, लेकिन अभी भी फैसले लेने में राहुल गांधी की राय ली जाती है और अगर वह किसी बात पर जोर देते हैं, तो उसे माना जाता है। बताया जाता है कि अध्यक्ष पद संभालने के बाद सोनिया गांधी के भरोसेमंद वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के सांगठनिक मामलों के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, जिन्हें राहुल ने यह जिम्मेदारी दी थी, को बदलकर बुजुर्ग नेता सुशील कुमार शिंदे को इस पद पर लाने का सुझाव सोनिया को दिया, तो राहुल ने उस पर वीटो कर दिया।

 

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