महापौर ने सीएम से मुलाकात कर स्मार्ट सिटी के टेंडरों में भृष्टाचार होने की शिकायत की…

दो हजार करोड़ के स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के टेंडरों को लेकर मामला अब सीएम की चौखट तक पहुंच गया है। महापौर ने मंगलवार को लखनऊ में सीएम से मुलाकात करके स्मार्ट सिटी के टेंडरों में भ्रष्ट्रचार का आरोप लगाया। उन्होंने सीएम से इस मामले की विजीलेंस जांच कराने की मांग की है । एक बार फिर से स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट को लेकर महापौर ने अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया है।

महापौर डा. उमेश गौतम मंगलवार को लखनऊ जाकर सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट के टेंडर में भ्रष्टाचार होने की शिकायत की। उन्होंने कहा कि मनमानी कंपनियों को टेंडर देने के लिए अधिकारी तय मानकों में बदलाव कर रहे हैं जिससे वह अपनी मनचाही कंपनियों को टेंडर दिला सके। उन्होंने मांग की है जिन प्रोजेक्ट के टेंडर हो चुके है। उनको रद्द करके फिर से टेंडर फ्लोट कराए जाएं, जिससे ज्यादा से ज्यादा कंपनियां भाग ले सकें और कंपनियों के चयन में पारदर्शिता हो। उन्होंने किए गए टेंडरों की विजिलेंस जांच कराने की मांग भी सीएम से की है। जिस पर उन्हें अश्वासन मिला है।

ये है महापौर के आरोप

स्मार्ट सिटी की घोषणा को दो साल नौ महीने हो चुके है लेकिन धरातल पर अब तक नही दिख रहा काम।इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर के प्रोजेक्ट 180 करोड़ की लागत से लागू होना है। इस मामले में टेंडर में घोटाला किया जा रहा है। इसकी शिकायत पहले ही पार्टी के उपाध्यक्ष कर चुके हैं। अपनी मनचाही कंपनियों को टेंडर दिलाने के लिए भुगतान शर्तों में बदलाव किया गया और मनचाहे तरीके से टेडर की तारीखे बढ़ाई गई। इसके बाद भी मनचाही कंपनी शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही हैं तो बिना शर्तों के ही टेंडर देन की तैयारी की जा रही है। संजय कम्युनिटी हाल का टेंडर 10 करोड़ का था।

इसमें ज्वाइंट वेंचर की शर्त नहीं थी लेकिन अपनी मनचाही कंपनी को टेंडर देने के लिए इसमें ज्वाइंट वेंचर की शर्त लागू कर दी गई। इसके साथ स्पोर्ट स्टेडियम का एक और टेंडर निकाला गया। इसमें 11 करोड़ के टेंडर में ज्वाइंट वेंचर की शर्त किसी अपने खास को देने के लिए हटा दी गई। नही बुलाया जाता है जनप्रतिनिधियों को जनप्रतिनिधियों को भ्रष्टाचार छुपाने के लिए न तो मीटिंग में बुलाया जाता और न ही उन्हें कुछ बताया जाता है। जबकि जनता जनप्रतिनिधियों से ही सवाल करती है। 188 करोड़ का आईसीसीसी प्रोजेक्ट इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर का प्रोजेक्ट 180 करोड़ का है।

जिसको लेकर अभी हाल में तीन कंपनियों ने प्रजेंटेशन दिया है। हालांकि अब तक इस मामले टेंडर नहीं खोले गए हैं। वही पहले भी इसको लेकर सवाल उठ चुके हैं। अधिकारियों ने इसके डीपीआर को ही बदल डाला था। इसके बाद जब बदले गए डीपीआर को अनुमोदन के लिए अलीगढ़ यूनीवर्सिटी भेजा गया था तो यूनिवर्सिटी ने डीपीआर के अनुमोदuन से इंकार कर दिया था। सीएम से मुलाकात करके स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में हो रही धांधली की विजीलेंस जांच की मांग की है। सीएम ने जांच का अश्वासन दिया है।

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