मसूरी में धूम – धाम से मनाया गया बग्वाल त्यौहार

रिपोर्टर- सुनील सोनकर
PLACE-MOOSURI

मसूरी जौनपुर ब्लाक के बंगलो की कांडी गांव में पारम्परिकं वादय यंत्रों के साथ नाग देवता की पूजा अर्चना कर बग्वाल त्योहार मनाया गया । वहीं बंगलो की कांडी गांव के ग्रामीणो ने सुबह घास का लम्बा रस्सा बनाकर गांव की बुजुर्ग , जवान और बच्चे खींचते हुए नजर आये।

 

 

ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम वनवास से आए थे उसी उपलक्ष में बग्वाल (भांड) मनायी जाती है ग्रामीणो ने बताया की बग्वाल भांड जौनपूर क्षेत्र का मषहूर त्योैहार है जिसे ग्रामीण और आसपास के क्षेत्र के लोग बडी घूमघाम के साथ मनाते है वही इसी दिन गांव में विषेश व्यंजन तैयार किये गए और एक दूसरो को परोसे गए। जहां उन्होने बताया हैं कि भगवान रामचद्र जी के बनवास संे आयोध्या लौटने के बाद उत्तराखण्ड के पहाडी क्षेत्रो में करीब एक माह के बाद पता चला था जो ग्रामीणों में खुषी की लहर दौड़ गई जिसके स्वरूप ग्रामीण इस दिवस को बग्वाल के रूप् में बनाते हुए अपनी पराम्परिक वेषभुषा में नाचते गाते है।

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पौराणिक परम्परा का निर्वहन करते हुए उत्तराखण्ड के जोनपूर क्षेत्र के लोगो ने बड़े हर्षो उल्लास के साथ गढवाली बग्वाल महोत्सव मनाया इस मौके पर घरो में तरह तरह के पकवान बनाएं गये वहीं अपनी सांस्कृतिक छटा को बिखेरते हुए नाच गाने पर भी गाव वाले जमक कर थिरके। बग्वाल महोत्व के इस मौके पर जौनपूर क्षेत्र के सभी ग्रामीणो ने पारम्परिक रूप से विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाये ।

लेकिन स्थानीय लोगो ने इसके लिए की जाने वाली तैयारी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस दिन चारा पत्तीकी लड़कियों से भ्यूलु इत्यादी बनाकर उन्हे दहन किया जाता है वहीं इस दिन गांव के सभी लोग एकत्रित होकर गढवाल की तादीं इत्याइी के पारम्परिक नाच गाने का आयोजन करते हैं।

वहीं पराम्परिक बग्वाल त्यौहार बडी धूमघाम के साथ मनाया गया जिसमें देश के विभन्न हिस्सों से आये प्र्यटकों के साथ विदेशी प्र्यटकों ने गढवाली संगीत में जमकर ठुमके लगाये वह गढवाली पंरमपरा को सहराया।

ग्रामीण सीमा सेमवाल और रतन सिंह पवार ने सभी क्षेत्रवासियों को बग्वाल कि शुभकामनाये देते हुए कहा की पर्वतिय इलाकों के पहाड सरीखे जीवन में जब तीज-त्योहारों के क्षण आते है तो खेत-खलिहान भी थिरक उठतें है। बग्वाल यानी दिपावली भी इसी का हिस्सा है गाव में रात्री में सभी लोग किसी खेत खलिहान पर जमा होने के साथ ही भैलो जो चीड़ की लड़कियों से बनी मशाल को घूमाते हुए नृत्य करते है।

उनका कहना हैं त्योहारों के पारंपरिक स्वरूप को बचाये रखने की दिशा में क्षेत्र में बग्वाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिससे स्थानीय लोगो के साथ प्र्यटकों को अपनी संस्कृतिक के रूबरू करवाया जा सके और प्र्यटन को बढावा मिल सके। वही उन्होने बताया कि सभी लोग हशोउल्लास से बग्वाल त्यौहार को बना रहे है।

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