मनोज कुमार को मिला दादा साहेब फाल्के अवार्ड

नई दिल्ली दिल्ली में मंगलवार को विज्ञान भवन परिसर में 63वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का आयोजन किया गया। दादा साहब फाल्के अवॉर्ड के तहत मनोज कुमार को राष्ट्रपति ने स्वर्ण कमल के साथ-साथ 10 लाख रुपए की राशि और शॉल भी दिया। व्हील चेयर पर आए मनोज कुमार ने सम्मानित होने के बाद जेब से एक मूर्ति निकाली और प्रेसिडेंट को तोहफे में दी। ये पुरस्कार साल 1969 से प्रदान किया जा रहा है और मनोज कुमार इससे सम्मानित होने वाले 47वें कलाकार हैं।

मनोज कुमार

मनोज कुमार की फिल्मों पर एक नज़र

मनोज कुमार को उनकी देशभक्ति की फिल्मों के कारण ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने ‘हरियाली और रास्ता’, ‘हिमालय की गोद में’, ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ और ‘क्रांति’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया।

 

इस आयोजन में राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने सभी विजेताओं को पुरस्कारों से सम्मानित किया। फिल्म इंडस्ट्री की कई जानी-मानी हस्तियाँ भी यहाँ मौजूद रहीं। मनोज कुमार की तबियत इतनी ख़राब थी कि वो पूरे कार्यक्रम में नहीं रुक सके। कार्यक्रम में सबसे पहली एंट्री गायक नितिन मुकेश (दादा साहेब फाल्के पुरस्कार समिति के सदस्य) शामिल हुए। कार्यक्रम शुरू होने के काफी देर पहले ही यह आ चुके थे। उसके बाद कई बड़ी-बड़ी हस्तियों का आगमन शुरू हो गया।

फिल्म बाजीराव मस्तानी के लिए सबसे उत्तम डायरेक्टर चुने गए संजय लीला भंसाली, सर्वश्रेष्ठ फिल्म बाहुबली के निर्देशक एसएस राजामौली आदि शामिल थे। हालाँकि इस कार्यक्रम में सबकी निगाहें अमिताभ बच्चन को ढूँढने में लगी हुई थीं। फिर कुछ ही देर में बिग-बी के साथ पूरे बच्चन परिवार ने सभागार में एंट्री की और सभी मीडियाकर्मियों समेत उनके कई प्रशंसक उनकी  तरफ दौड़ पड़े।

सबसे आखिर में पहुंची कंगना

राष्ट्रपति मुखर्जी और केंद्रीय मंत्री के आने का वक्त हो रहा था लेकिन कार्यक्रम में एक हस्ती नहीं दिख रही थी जिनको अहम पुरस्कार मिलना था। कुछ लोगों ने तो ये मान लिया था कि कंगना रानौत शायद ही कार्यक्रम में शिरकत करेंगी, लेकिन कुछ ही देर बाद कंगना की धमाकेदार एंट्री हुई। कई जूरी अध्यक्ष और मंत्रालय सचिव के भाषण के साथ कार्यक्रम शुरू किया गया। सभी विजेताओं ने राष्ट्रपति से जाकर सम्मान हासिल किया।

 

 

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